नोएडा पहुंची दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम : एक महिला चिकित्सक ने 20 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट की, यथार्थ अस्पताल रडार पर

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Jul 18, 2024 18:49

किडनी रैकेट मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार को भी जांच-पड़ताल जारी रखी। जांच टीम ने नोएडा के सेक्टर-39 स्थित स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर और...

Noida News : किडनी रैकेट मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार को भी जांच-पड़ताल जारी रखी। जांच टीम ने नोएडा के सेक्टर-39 स्थित स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर और ग्रेटर नोएडा वेस्ट के यथार्थ अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ी फाइलों की गहनता से जांच की है। 

सभी ट्रांसप्लांट यथार्थ अस्पताल में ही किए
इस मामले में गिरफ्तार अपोलो अस्पताल की महिला डॉक्टर ने पिछले दो वर्षों में यथार्थ अस्पताल में 20 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए थे, जिनके संबंधित मरीजों और किडनी दाताओं के कागजातों का सत्यापन स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम नोएडा में भी जांच कर रही है। किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. डी विजया राजकुमारी अपने साथ दिल्ली से छह सदस्यों की टीम लेकर किडनी मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए नोएडा एक्सटेंशन स्थित यथार्थ हॉस्पिटल में जाती थीं। उन्होंने सभी ट्रांसप्लांट यथार्थ अस्पताल में ही किए थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किए गए अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट के सात आरोपियों से पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है।

महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारियां जुटाई
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने किडनी रैकेट से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और जानकारियां जुटाई हैं। जांच में कई अहम सुराग मिले हैं, जिससे पता चला है कि गिरफ्तार आरोपियों ने किडनी की मांग वाले 6 मरीजों की फाइल तैयार कर ली थी और 20 अन्य मरीज भी उनके संपर्क में थे। यह मामला न सिर्फ दिल्ली ही नही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैल चुका है। बांग्लादेश के मरीजों और उनके परिजनों से जुड़े दस्तावेजों की जांच से पता चला है कि इस गिरोह का नेटवर्क काफी बड़ा और संगठित है।

बांग्लादेश के 20 अन्य मरीजों के थे संपर्क में 
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि गिरोह के सदस्य बांग्लादेश के डायलेसिस सेंटरों पर मरीजों और उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें भारत लाते थे। यहां पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए किडनी ट्रांसप्लांट करते थे। गिरफ्तारियों के दौरान बरामद दस्तावेजों में मरीजों से जुड़ी फाइलें भी शामिल थीं। इन फाइलों की जांच से पता चला है कि आरोपियों ने 6 मरीजों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे 20 अन्य मरीजों के संपर्क में थे, जिनके लिए उन्हें डोनर की व्यवस्था करनी थी। ये सभी मरीज बांग्लादेश के थे और वहां के डायलेसिस सेंटर पर जाते थे।

एडवांस में लेते थे 25 से 50 फीसदी रकम
गिरोह के सरगना रसेल को डोनर मुहैया कराने वाला इफ्ती मरीजों और उनके परिजनों से संपर्क करता था। इफ्ती और उसके गुर्गों का काम बांग्लादेश के कई डायलेसिस सेंटर पर मरीजों और उनके परिजनों से संपर्क करना था, लेकिन छापेमारी के बाद वह अंडरग्राउंड हो गया। जांच में यह भी पता चला कि जिन छह मरीजों की आरोपियों ने फाइल तैयार की थी, उनसे एडवांस में रकम ले ली गई थी। पूरी रकम का लेन-देन होना अभी बाकी था। गिरोह रिसीवर के तैयार होने के बाद ही उनके परिजनों से एडवांस में 25 से 50 फीसदी रकम ले लेता था और ऑपरेशन की तारीख तय हो जाने के बाद बाकी की रकम लेता था।

अलग-अलग अस्पतालों के नाम के जाली दस्तावेज बरामद
आरोपियों के कब्जे से प्रमुख डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, वकील समेत अन्य लोगों की मुहरें बरामद की गई हैं। आरोपी इन मुहरों का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए करते थे। मौके से अलग-अलग अस्पतालों के नाम के जाली दस्तावेज भी मिले हैं। क्राइम ब्रांच की तकनीकी टीम पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क की जांच कर रही है, ताकि और भी सुराग मिल सकें।

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