ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने लिए 4 बड़े फैसले : फ्लैट खरीदारों और किसानों से विवाद सुलझे, बिल्डरों पर कसी नकेल, इंडस्ट्री की जमीन महंगी हुई

UP Times | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बोर्ड बैठक हुई

Dec 26, 2023 18:42

फैसला लिया गया है कि मास्टर प्लान 2041 के तहत सभी हाउसिंग सोसाइटी में गेस्ट पार्किंग का प्रावधान होगा। सोसाइटी निर्माण के समय गेस्ट पार्किंग बनानी होगी...

Greater Noida News : मंगलवार की सुबह ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) की बोर्ड बैठक हुई है। जिसकी अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह (Manoj Kumar Singh IAS) ने की। बोर्ड के सामने करीब 20 प्रस्ताव रखे गए, जिन्हें मंज़ूरी दे दी गई है। इनमें चार महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए गए हैं। इन फैसलों की बदौलत प्राधिकरण और किसानों के बीच चल रहा विवाद सुलझ गया है। इसी तरह फ़्लैट खरीदारों और बिल्डरों के बीच लंबे अरसे से चल रही समस्याओं का समाधान हो गया है। प्राधिकरण ने एक फ़ैसला लिया है, जिसके ज़रिए बिल्डरों पर नकेल कसी जा सकेगी। बिल्डर अब फ्लैट खरीदारों को गुमराह करके लाभ नहीं उठा पाएंगे। शहर में उद्योग लगाने के लिए भूमि आवंटन की दरें बढ़ा दी गई हैं। मतलब, अब ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्री लगाना और महंगा हो गया है। इन फैसलों के बारे में ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने विस्तार से जानकारी दी है।

फैसला नंबर एक : किसानों को इस फॉर्मूले से मिलेंगे 10% आबादी भूखंड
प्राधिकरण के सीईओ ने बताया कि विकास योजनाओं के लिए जमीन देने वाले किसानों को 10% आबादी भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। हालांकि, 10% आवासीय भूखंड केवल उन किसानों को मिलेंगे, जिन्हें प्राधिकरण ने 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया है। आपको बता दें कि 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच के वर्ष 2011 में आए फ़ैसले के आधार पर दिया गया था। किसान लगातार 10% भूखंड आवंटन करने की मांग कर रहे थे। प्राधिकरण ने यह मसला राज्य सरकार को भेजा था। सरकार ने फ़ैसला लेने के लिए प्राधिकरण के बोर्ड को स्वतंत्रता दी थी। अब मंगलवार को यह फ़ैसला ले लिया गया है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को मुख्य रूप से दो फ़ायदे देता है। प्राधिकरण की प्रचलित दरों के आधार पर मुआवज़ा दिया जाता है। भविष्य में आबादी विस्तार करने के लिए 7% आवासीय भूखंड दिया जाता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बीच पतवाड़ी, बिसरख, मिलक लच्छी, सैनी, सुनपुरा और वेदपुरा जैसे गांवों में वर्ष 2007 लेकर वर्ष 2009 तक भूमि अधिग्रहण किया गया था। इन गांवों के किसानों ने व्यापक आंदोलन शुरू किया है। किसानों ने ज़्यादा मुआवज़ा और लाभ की मांग की थी। लंबे किसान आंदोलन और अदालती लड़ाई के बाद अक्टूबर 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फ़ैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि किसानों को 7% की बजाय 10% आवासीय भूखंड का आवंटन किया जाए। प्रचलित मुआवज़ा दरों पर 64.7% अतिरिक्त मुआवज़े का भुगतान किया जाए। 

मामला फिर उलझ गया तो सरकार ने बोर्ड को जिम्मा सौंपा
आगे चलकर इस फ़ैसले को लेकर गफलत पैदा हो गई। हाईकोर्ट जाने वाले किसान लाभ मांग रहे थे। साथ ही कोर्ट नहीं जाने वाले किसान भी लाभ मांगने लगे। प्राधिकरण के अफ़सरों ने ग़लत ढंग से बड़ी संख्या में उन किसानों को भी लाभान्वित किया, जो अदालत नहीं गए थे। जिसके चलते लगातार विवाद बढ़ता चला गया। पिछले क़रीब एक साल से किसान विकास प्राधिकरण के बाहर धरना दे रहे हैं। किसानों के साथ चल रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए प्राधिकरण और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई। विकास प्राधिकरण ने इस मसले पर फ़ैसला लेने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से प्राधिकरण को कहा गया कि इस मसले पर अथॉरिटी के बोर्ड को फ़ैसला लेना चाहिए। अब मंगलवार को हुई बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा गया। जिस पर बोर्ड ने फ़ैसला ले लिया है। ग्रेटर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने बताया कि जिन किसानों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के आधार पर 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया गया है, उन्हीं किसानों को 10 प्रतिशत आवासीय भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। कोर्ट जाने वाले किसानों को ही तो यह लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर अब स्थिति साफ़ हो गई है कि विकास प्राधिकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले से आच्छादित किसान परिवारों को बढ़े हुए मुआवज़े और 10 प्रतिशत आवासीय भूखंड का लाभ देगा।

फैसला नंबर दो : अमिताभकांत समिति की सिफारिश लागू, फ्लैट खरीदारों के कष्ट दूर
जिस इजाजत का इंतजार गौतमबुद्ध नगर की जनता कई सालों से कर रही थी, वह मांग अब पूरी हो गई है। ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अमिताभकांत समिति की सिफारिशें लागू हो गई हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा दी थी। यह फैसला मंगलवार को बोर्ड बैठक में लिया गया है। इसके साथ ही बिल्डर-बायर्स मुद्दे को हल करने के लिए अमिताभ कांत समिति की 13 सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। शून्यकाल का लाभ, तीन साल में बकाया जमा करने, मार्टगेज, प्रचलित एफएआर, परियोजना पूरी करने के लिए समय वृद्धि बिल्डरों को मिल सकेगी। जबकि खरीदारों को तीन महीने में रजिस्ट्री, अतिरिक्त पैसा नहीं देने समेत कई लाभ मिलेंगे। अगर बिल्डरों ने शर्तों का उल्लंघन किया तो उस दौरान के लाभ नहीं मिलेंगे। परियोजना पूरा नहीं करने वाले बिल्डरों को 5 साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।

फैसला नंबर तीन : अब हाऊसिंग सोसायटी के हर फ्लैट में गेस्ट पार्किंग लाजिमी
शहर की एक बड़ी समस्या का समाधान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में हो गया है। अब ग्रेटर नोएडा में जो भी हाउसिंग सोसाइटी बनेगी, उनमें गेस्ट पार्किंग अनिवार्य होगी। ग्रेटर नोएडा ईस्ट और वेस्ट में करीब 200 सोसाइटी हैं। यहां पर आए दिन पार्किंग को लेकर समस्या पैदा होती है और लोग आमने-सामने हो जाते हैं। इसी समस्या का समाधान करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने फैसला लिया था, जिसको बोर्ड बैठक में रखा गया और अब मंजूरी भी मिल गई। इससे काफी हद तक हाउसिंग सोसाइटी में समस्याएं खत्म हो जाएगी। दरअसल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आए दिन पार्किंग को लेकर समस्या पैदा होती है। इसकी वीडियो भी सामने आती है। पार्किंग विवाद का असली कारण यह है कि बिल्डर केवल एक पार्किंग घर खरीदार को देता है। अगर ऐसे समय में घर खरीदार के घर कोई अतिथि आ जाए तो उसकी गाड़ी खड़ी करने की कोई जगह नहीं होती। ऐसे में जहां खाली जगह मिल जाए, अतिथि वहीं पर अपनी गाड़ी खड़ी कर देता है, लेकिन सोसाइटी में कोई खाली जगह होती नहीं है। इस वजह से अतिथि किसी अन्य की पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी कर देता है और इसी वजह से विवाद पैदा होता है।

फैसला लिया गया है कि मास्टर प्लान 2041 के तहत सभी हाउसिंग सोसाइटी में गेस्ट पार्किंग का प्रावधान होगा। सोसाइटी निर्माण के समय गेस्ट पार्किंग बनानी होगी। यह बिल्डर के लिए एक नियम में लागू होगी। आने वाले समय में हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट की संख्या के आधार पर पार्किंग तय की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी नियोजन विभाग के पास होगी। इस नए नियम का अंतिम रूप दिया जा रहा है। हाउसिंग सोसायटी के भीतर गेस्ट पार्किंग नहीं बनाने पर बिल्डर पर कार्रवाई की जाएगी।

फैसला नंबर चार : औद्योगिक श्रेणी में जमीन आवंटन की दर बढ़ाई गईं
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बोर्ड ने मंगलवार को बैठक में एक और बड़ा फ़ैसला लिया है। शहर में औद्योगिक श्रेणी के भूखंडों की आवंटन दरें बढ़ा दी गई हैं। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, आवंटन दरों में करीब तीन हजार रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से इज़ाफ़ा किया गया है। बोर्ड के इस फ़ैसले से शहर में उद्योग लगाना और महंगा हो जाएगा। औद्योगिक भूखंडों की क़ीमतें बढ़ने से शहर के उद्यमी ख़ुश नहीं हैं। दूसरी ओर प्राधिकरण अफसरों का कहना है कि जमीन की मुआवज़ा दरें बढ़ायी गई हैं। किसान लगातार मुआवज़ा दरें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में भूखंड आवंटन के लिए लागत बढ़ रही है। किसान से जमीन खरीदने के बाद सेक्टर विकसित करने पर भारी खर्च होता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान लैंड डेवलपमेंट पर आने वाली लागत तेजी से बढ़ी है। ऐसे में इंडस्ट्रियल कैटिगरी के भूखंडों की कीमत कीमत बढ़ाना प्राधिकरण की मजबूरी है।

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