GRAP लागू होने का दिखने लगा असर : नोएडा में नीचे आया प्रदूषण का स्तर, जानिए अन्य शहरों का हाल

UPT | GRAP लागू होने का दिखने लगा असर

Oct 16, 2024 18:07

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को सीएक्यूएम ने बैठक में ये फैसला लिया। इसका असर भी दिखने लगा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर पहले से बेहतर स्थिति में आ चुका है।

Short Highlights
  • GRAP लागू होने का दिखने लगा असर
  • नोएडा में नीचे आया प्रदूषण का स्तर
  • गाजियाबाद और हापुड़ का हाल बुरा
Noida News : दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी ग्रैप का पहला चरण लागू हो चुका है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को सीएक्यूएम ने बैठक में ये फैसला लिया। इसका असर भी दिखने लगा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर पहले से बेहतर स्थिति में आ चुका है।

कितना है एनसीआर का AQI?
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, नोएडा का AQI 159 दर्ज किया गया। वहीं ग्रेटर नोएडा का AQI 178 रहा। ये दोनों मॉडरेट श्रेणी में आते हैं। हालांकि गाजियाबाद में हालात बुरे हैं। यहां AQI 203 दर्ज किया गया, जो बुरे की श्रेणी में आता है। वहीं हापुड़ में स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां AQI 301 रहा, जो Very Poor कैटेगरी में आता है। गुरुग्राम में AQI 174, फरीदाबाद में 206, जबकि दिल्ली में 203 दर्ज किया गया।



GRAP-1 में क्या-क्या पाबंदियां?
ग्रैप-1 के तहत होटलों और रेस्तरां में कोयले और लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। इसके साथ ही, पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों (बीएस-III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) गतिविधियों में धूल नियंत्रण उपायों का पालन और सीएंडडी कचरे के सही प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे। 500 वर्ग मीटर या उससे बड़े भूखंडों पर ऐसी परियोजनाओं के लिए सीएंडडी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी, जो संबंधित वेब पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं।

अधिकारियों का रोक दिया गया वेतन
नोएडा में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए प्राधिकरण भी एक्शन मोड में आ गया है। प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (एसीईओ) श्रीलक्ष्मी वीएस ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि जब तक संबंधित कार्य सर्किलों में प्रभावी रूप से प्रदूषण नियंत्रण के नियमों का अनुपालन नहीं किया जाता, तब तक प्रभारियों का वेतन रोका जाएगा। यह निर्णय प्रदूषण नियंत्रण के उपायों की निगरानी में लापरवाही के कारण लिया गया है। दरअसल ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-3 क्षेत्र में सबसे अधिक प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया था, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 206 तक पहुंच गया। हालांकि प्रदूषण में कुछ गिरावट आई है, फिर भी दोनों शहरों की हवा अभी भी खराब श्रेणी में बनी हुई है, जो स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है।

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