गौतमबुद्ध नगर : यमुना प्राधिकरण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल, आवंटियों ने अफसरों पर लगाए आरोप

UPT | यमुना प्राधिकरण

Oct 18, 2024 12:36

यमुना विकास प्राधिकरण (YEIDA) की आवासीय भूखंड योजना में धांधली के आरोप लगने के बाद कुछ आवंटी अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर हो गए हैं। इन आवंटियों का...

Greater Noida News : यमुना विकास प्राधिकरण (YEIDA) की आवासीय भूखंड योजना में धांधली के आरोप लगने के बाद कुछ आवंटी अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर हो गए हैं। इन आवंटियों का आरोप है कि अधिकारियों और बिचौलियों की सांठगांठ से उन्हें योजना के तहत दिए गए आरक्षित श्रेणी के लाभ से वंचित कर दिया गया। 10 अक्टूबर को हुए आवासीय भूखंड ड्रा में आरक्षित श्रेणी के पात्र आवंटियों को सामान्य श्रेणी में जबरन शामिल कर दिया गया, जिसके बाद इन आवंटियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

ड्रा प्रक्रिया पर उठे सवाल, 9 भूखंड रोके गए
10 अक्टूबर को आयोजित ड्रा में 361 भूखंडों के बजाय सिर्फ 352 भूखंडों को ही शामिल किया गया। नौ भूखंडों का ड्रा रोक दिया गया, जिससे ड्रा प्रक्रिया विवादों में घिर गई। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर सामान्य श्रेणी में डाल दिया गया, जिससे उन्हें आरक्षित श्रेणी का लाभ न मिल सके। वहीं, प्राधिकरण अब इन नौ आवेदकों पर योजना की ब्रोशर शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहा है, जिससे विवाद और गहरा गया है।


आरक्षित श्रेणी के आवंटियों को सामान्य श्रेणी में डालने का आरोप
यमुना प्राधिकरण ने जुलाई 2024 में सेक्टर-16, 18, 20 और 22डी के लिए आवासीय भूखंड योजना निकाली थी। जिसमें औद्योगिक, संस्थागत और वाणिज्यिक श्रेणी के आवेदकों को 5% भूखंड आरक्षित किए गए थे। योजना के तहत पात्र आवंटियों की सूची 18 सितंबर को जारी की गई थी और 25 सितंबर तक उन्हें जवाब दाखिल करने का समय दिया गया था। हालांकि, 3 अक्टूबर की रात एक नई सूची ऑनलाइन अपलोड की गई, जिसमें वाणिज्यिक श्रेणी के सभी आवेदकों को सामान्य श्रेणी में डाल दिया गया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।

हाईकोर्ट में पहुंचा मामला
इस बदलाव से नाराज आवंटियों ने 4 अक्टूबर को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और प्राधिकरण के खिलाफ दस्तावेज भी गौतमबुद्ध नगर में जमा कराए। हाईकोर्ट की छुट्टियों से पहले याचिका दाखिल होने के बाद, प्राधिकरण ने नौ भूखंडों का ड्रा रोक दिया, जबकि बाकी का ड्रा पूरा कर दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह बदलाव जानबूझकर किया गया ताकि उन्हें आरक्षित श्रेणी के लाभ से वंचित किया जा सके।

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पिछले आवंटनों में भी अनियमितता के आरोप
इस विवाद में 2021 में निकली बिल्डअप कियोस्क योजना का भी जिक्र किया जा रहा है। जिसमें 9.04 वर्ग मीटर का एक कियोस्क आठ लाख रुपये में निर्धारित किया गया था, लेकिन नीलामी में इसे 21 लाख रुपये में बेचा गया। इस कियोस्क का कब्जा जुलाई 2024 में आवंटियों को दिया गया था और उसी समय फंक्शन सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया। 

प्राधिकरण की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में
यह मामला सामने आने के बाद यमुना प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। आवंटियों ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से योजना की प्रक्रिया में हेरफेर किया गया, जिससे वे अपने अधिकारों से वंचित हो गए। अब देखना यह होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला करती है और क्या आवंटियों को न्याय मिल पाता है।

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