यूपीसीडा की जीत : ग्रेटर नोएडा के बड़े औद्योगिक क्षेत्र में 12 अरब रुपये की जमीन पर दोबारा कब्जा, 204 एकड़ का भूखंड वापस लिया

UPT | Daewoo Motor

Dec 31, 2024 12:10

1982 में यूपीसीडा ने डीसीएम टोयोटा को यह विशाल भूखंड आवंटित किया। उस समय नोएडा और ग्रेटर नोएडा का औद्योगिक क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा था। डीसीएम टोयोटा ने मिनी ट्रक का उत्पादन शुरू किया...

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र में यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने 204 एकड़ के एक महत्वपूर्ण भूखंड पर पुनः कब्जा कर लिया है। यह भूखंड एक समय देश की सबसे बड़ी औद्योगिक इकाइयों में से एक डीसीएम टोयोटा और बाद में डीसीएम देवू का केंद्र था। जिसकी बाजार कीमत 12 अरब रुपये से अधिक है।

एक सुनहरे युग की शुरुआत
1982 में यूपीसीडा ने डीसीएम टोयोटा को यह विशाल भूखंड आवंटित किया। उस समय नोएडा और ग्रेटर नोएडा का औद्योगिक क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा था। डीसीएम टोयोटा ने मिनी ट्रक का उत्पादन शुरू किया। जिसने देश के परिवहन उद्योग में एक नई क्रांति लाई। यह संयंत्र हजारों स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का स्रोत बना और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की। 1989 में कंपनी ने अपने उत्पादन को विस्तार देने के लिए आईसीआईसीआई बैंक से ऋण लिया। हालांकि, 1999 में हिस्सेदारों के बीच मतभेदों के कारण कंपनी ने यह भूखंड कोरियाई ऑटोमोबाइल कंपनी देवू को बेच दिया।


देवू का अधिग्रहण और विफलता
देवू ने इस भूखंड पर कार निर्माण का काम शुरू किया और नए तकनीकी मॉडल पेश किए। लेकिन कोरियाई बाजार में आर्थिक मंदी का असर देवू पर पड़ा और यह कंपनी दिवालिया हो गई। इसके परिणामस्वरूप ग्रेटर नोएडा स्थित यह प्लांट बंद हो गया। जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए। इस दौरान यूपीसीडा का भूखंड पर बकाया 7 अरब रुपये से अधिक हो गया। कंपनी की कंगाली और बैंक के साथ कानूनी विवादों ने इस भूमि को वर्षों तक कानूनी पचड़ों में फंसा दिया।

आईसीआईसीआई बैंक और आरसिल का विवाद
कंपनी बंद होने के बाद, आईसीआईसीआई बैंक ने बिना यूपीसीडा की अनुमति के इस भूखंड को निजी वित्तीय संस्थान आरसिल को बेच दिया। यूपीसीडा ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और मामला मुंबई के ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) तक पहुंचा। हालांकि, डीआरटी से यूपीसीडा को मनचाही राहत नहीं मिली।

यूपीसीडा की रणनीतिक सफलता
यूपीसीडा ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी के नेतृत्व में इस भूखंड पर पुनः अधिकार करने के लिए नई रणनीति अपनाई। लीज डीड की शर्तों का गहन अध्ययन किया गया और 23 जुलाई 2024 को यूपीसीडा बोर्ड की 46वीं बैठक में भूखंड का आवंटन रद्द करने का निर्णय लिया गया। बोर्ड के निर्णय के बाद क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने भूखंड संख्या ए-1, औद्योगिक क्षेत्र सूरजपुर साइट-ए का आवंटन रद्द कर दिया और इसका भौतिक कब्जा यूपीसीडा के नाम पर दर्ज करवा लिया। अब यह भूमि यूपीसीडा के पास लौट आई है। जिसकी बाजार कीमत 12 अरब रुपये से अधिक है। 

यूपीसीडा के अधिकारियों की प्रतिक्रिया
मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी ने कहा, “यह कदम यूपीसीडा के लिए एक बड़ी जीत है। हमारा प्रयास होगा कि इस भूमि का उपयोग क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन के लिए हो।” क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल कुमार शर्मा ने कहा, “हमने आरसिल जैसे संस्थानों की खराब नीयत का मुकाबला किया और यूपीसीडा के हितों की रक्षा की। यह हमारी कानूनी और प्रशासनिक क्षमता का प्रमाण है।”

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