हिन्दी दिवस : हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाने का संकल्प लें तभी हिन्दी को मिलेगा गौरव पूर्ण स्थान

UPT | गाजियाबाद में हिंदी दिवस के मौके पर आर्य युवक परिषद द्वारा आयोजित वेबीनार।

Sep 14, 2024 17:05

स्वभाषा के बिना स्वाधीनता अधूरी है,राष्ट्र गूंगा है।मात्र एक दिवस ही नहीं पूरे 365 दिन हिन्दी को स्वाभिमान के साथ लिखने पढ़ने और बोलने का उपक्रम करना होगा।

Short Highlights
  • हिन्दी दिवस पर आर्य युवक परिषद का कार्यक्रम
  • हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाने का लिया संकल्प
  • हिन्दी के वास्तिविक स्वरूप खोने को लेकर जताई चिंता
Hindi Diwas 14 September : गाजियाबाद के केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "हिन्दी दिवस" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने राष्ट्र भाषा स्वीकार किया था।

दैनिक व्यवहार में लाने का संकल्प
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य  ने कहा कि हिन्दी को दैनिक व्यवहार में लाने का संकल्प लें तभी हिन्दी अपना गौरव पूर्ण स्थान बना पाएगी।उन्होंने कहा कि हिन्दी को दिनचर्या का हिस्सा बनाने से ही इसका विकास होगा।हिन्दी में अन्य भाषाओं की मिलावट चिन्ताजनक है इससे हिन्दी खिचड़ी बनकर अपना वास्तविक स्वरूप खोती जा रही है।

भारत के स्वाभिमान के प्रतीक हिन्दी
उन्होंने कहा कि भारत के स्वाभिमान के प्रतीक हिन्दी जिसे माथे की बिन्दी भी कहा जाता है, आज उर्दू वा अंग्रेजी के भीषण संक्रमण का शिकार हो रही है।विदेशी आयातित भाषाओं की घुसपैठ इस स्तर पर पहुंच गई है कि हम भारतीय भी यह पहचान ने में विस्मृत हो जाते हैं कि यह शब्द उर्दू का है या अंग्रेजी का है,मुगलों वा अंग्रजों की पराधीनता की प्रतीक उर्दू वा अंग्रेजी के इन शब्दों को चुन चुन कर हमें वाणी और लेखनी से बाहर फेंकना होगा,तभी हमारा हिन्दी दिवस मनाना सार्थक होगा।यह हमारा दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि स्वाधीनता के लंबे समय के बाद भी हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा का सम्मान नहीं दिला पाए।

स्वभाषा के बिना स्वाधीनता अधूरी
स्वभाषा के बिना स्वाधीनता अधूरी है,राष्ट्र गूंगा है।मात्र एक दिवस ही नहीं पूरे 365 दिन हिन्दी को स्वाभिमान के साथ लिखने पढ़ने और बोलने का उपक्रम करना होगा। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रवीण आर्य ने कहा कि हिन्दी बोलने लिखने में हमे गौरव का अनुभव करना चाहिए।उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द ने भारत को जोड़ने की दूरदर्शिता को बहुत पहले समझा था और गुजराती होते हुए भी अपना सब साहित्य हिन्दी मे ही लिखा था।

दैनिक जीवन में हिन्दी में अधिकाधिक कार्य करने का संकल्प
मुख्य अतिथि ओम सपरा ने कहा कि स्वामी विरजानंद जी की पुण्य तिथि है वह व्याकरण के सूर्य थे और स्वामी दयानन्द सरस्वती को शिक्षा दी। आचार्य महेन्द्र भाई ने कहा कि माँ तो माँ ही होती है हमे दैनिक जीवन में हिन्दी में अधिकाधिक कार्य करने का संकल्प लेना चाहिए। गायिका प्रवीना ठक्कर, रजनी गर्ग, रजनी चुघ, शोभा बत्रा, पिंकी आर्य, सुनीता अरोड़ा, विजय खुल्लर, रविन्द्र गुप्ता आदि ने मधुर गीत सुनाए।

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