अहोई अष्टमी 2024 : अष्ट कोणीय अहोई अष्टमी 6 विशेष योगों में आज मनाई जाएगी, जानिए पूजा का मुहूर्त ​और विधि

UPT | अहोई अष्टमी बुधादित्य योग वाली

Oct 24, 2024 23:38

शाम 5.33 मिनट से शाम 6.18 मिनट तक पूजा स्थल अथवा पूर्वोत्तर दिशा की दीवार पर 8 कोणों वाली एक पुतली अवश्य अंकित की जाये तथा समीप ही स्याऊ माता एवं उनके सात बच्चों के रूप में प्रतीक चिन्ह बनाये

Short Highlights
  • संतान सुख के लिए मताएं करती हैं व्रत और पूजा
  • करवाचौथ के चौथे दिन अहोई अष्टमी का पर्व 
  • अहोई अष्टमी षष्ट योगी होकर और विशेष हो गयी  
Ahoi Ashtami  2024 : करवाचौथ के बाद तथा दीपावली से पूर्व संतान सुख के लिए तथा संतान के पूर्ण सुख व पूर्ण आयु तथा जीवन की सफलताओं के लिए व्रत करती है। 

कार्तिक मास कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि 
कार्तिक मास कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को वे सभी मातायें जिनमें इस तिथि की संतान हित के लिए महत्ता जागी हुई होती है। माता द्वारा इस व्रत का संकल्प और उसका पालन उनकी संतान के लिए सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाता है। इस प्रकार शुभ ऊर्जायें दिव्य शक्तियों के प्रभावों से संतानों के जीवन में प्रवेश कर जातीं है ऐसी मान्यताओं एवं विश्वास के लिए है ये अहोई अष्टमी व्रत। जो आमतौर से करवाचौथ के चौथे दिन अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ये व्रत संध्या समय तारा दर्शन के उपरान्त खोला जाता है। इस वर्ष तिथि एवं सूर्योदनी तिथि तारा उदय एवं अन्य योगो की गणना से अहोई अष्टमी के व्रत के सम्बन्ध में. आईए जाने आस्था से जुड़ी कुछ ज्योतिषीय गणनायें जिनसे स्पष्ट हो सके कि वास्तव में अहोई अष्टमी का व्रत कब करना चाहिए।

छह शुभ योगों से युक्त 
छह शुभ योगों से युक्त है इस बार की अहोई अष्टमी। इनमें  अष्टमी पर साध्य योग, गुरु-पुष्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग, बुधादित्य योग, लक्ष्मी योग और अमृत सिद्धि योग के निर्माण होने से इस बार अहोई अष्टमी षष्ट योगी हो कर और विशेष हो गयी है। 

आज 1.21 मिनट से प्रारंभ हो गई अष्टमी
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 24 अक्तूबर दिन बृहस्पतिवार को रात 01.21 मिनट से पुष्य नक्षत्र में प्रारम्भ होगी जिसमें सूर्योदय 6.27 मिनट पर होगा। उस समय चन्द्रमा कर्क राशि, पुष्य नक्षत्र में रहेंगे। इस प्रकार अष्टमी तिथि 24 अक्तूबर दिन बृहस्पतिवार को पूर्ण दिन-रात व्यापनी है। 

विशेष फलदायी है यह अहोई अष्टमी  
इस बार अहोई अष्टमी बुधादित्य योग वाली, लक्ष्मी योग स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए, सुख ऐश्वर्य के लिए बेहतर योग वाली तथा करियर में मन को संतुष्टि दे ऐसे योग लिए हुए है ये अहोई अष्टमी जो व्यापारिक दृष्टि से बेहतर योग बनाने में सक्षम है।

इस बार के शुभ योगो में क्या करें विशेष अहोई अष्टमी पर 
  • जिन महिलाओं के पुत्र संतान है वे महिलायें तो अहोई अष्टमी का व्रत करती ही हैं क्योंकि प्राचीन काल में पुत्र को ही संतान माना जाता था और पुत्री को पराया धन। आज उत्तराधिकार पुत्र व पुत्री को समान रूप से प्राप्त हो चुका है इसलिए पुत्र और पुत्री इस व्रत के लिए समान रूप से अधिकारणी हो चुके हैं इसलिए जिन माताओं को केवल पुत्री सुख प्राप्त है वे भी अपनी संतान की शुभताओं के लिए अवश्य व्रत कर सकती हैं। 
  • उपरोक्त वर्णित शुभयोगों के कारण इस बार अहोई अष्टमी का व्रत उनके लिए भी वरदान देने वाला बन गया है जिनके अब तक कोई संतान न हो सकी हो अर्थात संतान कामना के लिए भी इस वर्ष व्रत किया जाना श्रेष्ठ रहेगा। गर्भवती अथवा रोगी महिलायें निराहार व्रत का संकल्प न लें।

सांयकाल चन्द्रमा को अर्घ्य दे कर ही व्रत खोला जाये 
प्रचलन में तो ये ही है कि सांयकाल चन्द्रमा को अर्घ्य दे कर ही व्रत खोला जाये पर यह अनिवार्य है कि शाम 5.33 मिनट से शाम 6.18 मिनट तक पूजा स्थल अथवा पूर्वोत्तर दिशा की दीवार पर 8 कोणों वाली एक पुतली अवश्य अंकित की जाये तथा समीप ही स्याऊ माता एवं उनके सात बच्चों के रूप में प्रतीक चिन्ह बनाये जायें तथा उन्हें श्रद्धा पूर्वक पूजित किया जाये। इस प्रकार स्याऊ माता की स्थापना का उपरोक्त शुभ मुहूर्त इस वर्ष विशेष है।

विशेष 
राहु काल : दोपहर 1:29 से 02:53 तक है। इस समय को छोड़कर किसी भी समय अहोई अष्टमी की पूजा की जा सकती है। 

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