गाजियाबाद से बड़ी खबर: ग्रीन बेल्ट विकसित करने के नाम पर नगर निगम के अधिकारियों की हेराफेरी

UPT | Ghaziabad News

Mar 09, 2024 20:36

गाजियाबाद शहर की सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करने का नाम पर अधिकारियों की हेराफेरी सामने आई है..

Ghaziabad News : गाजियाबाद शहर की सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करने का नाम पर अधिकारियों की हेराफेरी सामने आई है। सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करने और उनका रखरखाव करने का जिम्मा नगर निगम के हाथों में है, लेकिन देश की राजधानी दिल्ली से लगे गाजियाबाद में एक नया कारनामा चल रहा है। शहर की सड़कों से लगी ग्रीन बेल्ट को विकसित करने का नाम पर निजी नर्सरी संचालकों को आवंटित किया जा रहा है। शहर की सड़को से लगी ग्रीन बेल्ट में नर्सरी संचालकों की मनमानी की शिकायत मिलने के बाद मेयर ने औचक निरीक्षण किया तो सच्चाई सामने आई। 

यह है पूरा मामला
मेयर के निरीक्षण करने पर कई जगह आवंटित जगह से ज्यादा स्थान घेर कर अतिक्रमण किया गया था। नर्सरियों में पौधे, गमले बेचने की आड़ में अन्य व्यवसाय किया जा रहा है। कई जगह अवैध रूप से अतिक्रमण भी पाया गया है। महापौर ने जांच कराई तो पता चला कि करीब पांच साल से निगम के कोष में 70 नर्सरी संचालकों ने शुल्क ही जमा नहीं किया है। उद्यान प्रभारी डॉ. अनुज कुमार सिंह को तत्काल कार्रवाई करते हुए इस माह के अंदर शुल्क जमा नहीं होने पर आवंटन निरस्त करने के निर्देश दिए हैं।

नर्सरी के नाम पर कब्जा
नगर निगम के पांचों जोन में सड़क किनारे नर्सरी चल रही हैं। इनकी आड़ में ग्रीन बेल्ट पर कब्जे का खेल भी तेजी से चल रहा है। आवंटी को नर्सरी के बाहर अपना नाम, आवंटन की जानकारी और कुल जगह का उल्लेख करना अनिवार्य है लेकिन असल जरूरतमंदों की जगह प्रभावशाली लोगों ने दूसरों के नाम पर नर्सरी लेकर खुद कब्जा जमाया हुआ है। साल दर साल नर्सरी संचालक नगर निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे है। 

नर्सरी में चल रही बिजली चोरी
दूसरी तरफ उद्यान विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। मामले की गंभीरता को देखते हुए महापौर ने अपने स्तर पर जांच कराते लापरवाही का खुलासा किया है। इन नर्सरियों में अवैध तरीके से कटिया डालकर बिजली चोरी का खेल चल रहा है तो कहीं मीटर महज नाम के लिए लगाया हुआ है। पेड़ पर लटके और नर्सरी के अंदर टूटे-लटके पड़े मीटर ऊर्जा निगम की लापरवाही की ओर भी इशारा कर रहे हैं। नर्सरी संचालकों से नगर निगम 60 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से सालाना किराया वसूलता है। इसका भी भुगतान वर्षों से नहीं किया जा रहा है।
 

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