Ghaziabad News: लाभामृत योग में वट सावित्री व्रत आज, चतुर्योगी अमावस्या में ऐसे करें वट वृक्ष पूजा

UPT | वट वृक्ष की पूजा करती सुहागन महिलाएं।

Jun 06, 2024 13:03

रोहिणी नक्षत्र में,धृति योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग व लक्ष्मी योग चार योगों में पड़ रही है बड़ अमावस्या व शनि जयंती।

Short Highlights
  • ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है वट सावित्री पर्व
  • सुहागन महिलाएं वट वृक्ष की करती हैं पूजा
  • आज शनि अमावस्या और शनि जयंती भी
Ghaziabad news : आज गुरुवार को वट सावित्री अमावस्या मनाई जा रही है। इसको बड़ अमावस्या भी कहा गया है। पंडित गजानन त्रिपाठी ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या पर वट पूजन का विधान है। आज ही शनि जयन्ती या शनि अमावस्या भी है।

चतुर्योगी है ये बड़ अमावस्या
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पांच जून को सांय 7:57 से प्रारंभ होकर 6 जून को सांय 6:09 मिनट तक रहेगी। इस प्रकार सूर्योदनी ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या 6जून, दिन गुरुवार को है। इस जेठ अमावस पर चन्द्रमा अपनी उच्च वृष राशि में होंगे तथा रोहिणी नक्षत्र में,धृति योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग व लक्ष्मी योग चार योगों में पड़ रही है बड़ अमावस्या व शनि जयंती। इस तिथि पर देव पितृ कार्य अमावस्या बड़ पूजन, वट सावित्री व्रत शनि जयन्ती के साथ सन्त ज्ञानेश्वर जयन्ती भी मनायी जाएगी।
न पूजें खण्डित टहनियों को, पूजें सम्पूर्ण वट वृक्ष को
जिस प्रकार खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती उसी प्रकार पवित्र पूजनीय वट वृक्ष की खण्डित टहनियों का पूजन वर्जित होता है। इसलिए वट वृक्ष की छत्र छाया में ही जा कर पूजन करें व वट वृक्ष का पोषण करें ना कि वट वृक्ष को वट वृक्ष की टहनियां तोड़-तोड़ कर खण्डित पूजा करें अतः सकारात्मक की जगह नकारात्मक प्रभाव जीवन में लाने से बचें।

ऐसे पूजें वट वृक्ष को ब्रह्मा, सत्यवान सावित्री के साथ
बांस की 2 टोकरियाँ सप्त धान से भर लें यह सात अनाज गेहूं, जौ, तिल, चावल, कंगनी, ज्वार, उरद टोकरियों में क्रम से भरें तथा पहली टोकरी में ब्रह्मा जी के तथा उसके नीचे नाशपाती, लीची आदि स्त्रीवाचक फल रखें तथा सुहाग की वस्तुएं सती सावित्री को अर्पित करें तथा वरदान मांगे अक्षय सौभाग्य व अक्षय उन्नति का। इसके बाद बड़ पूजन कर बड़ को सींचें तथा कच्चे सूत को हाथ में लेकर वट वृक्ष पर लपेटते हुए सात परिक्रमा करते हुए यह भावना करें कि इस देव वृक्ष के तने में सतोगुणी विष्णु शक्ति का वास है तथा इस वृक्ष की रक्षा तथा पोषण का दायित्व पूर्णतः हमारा है। तभी हो सकेगी बड़ पूजन की सार्थकता।
घर में भी कर सकते हैं व्रत, पूजन
अपने ही पूजन स्थल में हाथ में भीगी चने की दाल लेकर सत्यवान-सावित्री की कथा करें तथा पूजा स्थल में कलावा बांध कर अखण्ड सौभाग्यवती का वरदान मांगें। विवशता में मोबाइल/लेपटाप पर बरगद चित्र प्रकट कर स्क्रीन सेट में भी तिलक लगा कर कलावा लपेट कर इस युग अनुसार वर्चुअल पूजन भी कर सकते है । जपें ‘‘ऊँ ब्रह्मणै नमः’’, ‘‘ऊँ यमाय नमः’’, ‘‘ऊँ सत्यवान सावित्रै नमः।’’ उसके बाद दान के लिए अनाज फल आदि जरूरतमंदों के लिए अर्पित करें। ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ के अन्तर्गत शनि जयन्ती पर शनिदेव से संसार में आपदा से बचाव की प्रार्थना करें।

वट सावित्री व्रत पूजन शुभतम मुहूर्त
शुभ योग–प्रातः05:22 से07:07 तक
अभिजीत मुहूर्त -दोपहर11:52 से 12:47 तक
लाभामृत योग -  दोपहर12:19 से 03:48 तक

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