राज्यसभा सांसद के आवास पर छापे : यूपी के इस आईपीएस अधिकारी के ससुर हैं MP एनडी गुप्ता, केजरीवाल के निजी सचिव भी रडार पर

UPT | IPS अधिकारी के ससुर के घर छापा

Feb 06, 2024 14:26

टीम की दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के आवास पर छापेमारी जारी है। इनमें राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता का यूपी कनेक्शन सामने आया है... 

National News : दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार सुबह से आम आदमी पार्टी के नेताओं के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। टीम की दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के आवास पर छापेमारी जारी है। इनमें राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता का यूपी कनेक्शन सामने आया है। 

यूपी के डीजीपी कार्यालय में तैनात है आईपीएस दामाद 
दरअसल, आप से राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता यूपी में एडीजी (स्थापना)/डीजीपी मुख्यालय संजय सिंघल के ससुर हैं। संजय 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और अक्तूबर 2020 से  एडीजी (स्थापना)/डीजीपी मुख्यालय के पद पर तैनात हैं। इससे पहले इस पद पर 1991 बैच के पीयूष आन्नद तैनात थे। 

जानिए कौन हैं एनडी गुप्ता 
एनडी गुप्ता यानी कि नारायण दास गुप्ता दिल्ली के एनसीटी से राज्यसभा सांसद और प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के पूर्व अध्यक्ष हैं। वह एक वित्तीय नीति विशेषज्ञ कहे जाते हैं, जिन्होंने बहुत सारी किताबें भी लिखी हैं। वो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ अकाउंटेंट्स, यूएसए के बोर्ड में चुने जाने वाले पहले इंडियन भी हैं। 

विवादों में रहे हैं सीएम के सचिव विभव 
बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव विभव पहले भी विवादों में रहे हैं। उन्हें दिल्ली सरकार की ओर से पहले टाइप-6 बंगला दिया गया था जिसपर काफी विवाद हुआ था लेकिन बवाल बढ़ने पर इस आदेश को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सतर्कता निदेशालय ने उन्हें टाइप-4 बंगला आवंटित किया था। 

जानिए क्या है पूरा मामला
बीते साल 18 नवंबर 2023 को केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली जल बोर्ड में 3,237 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया था। उन्होंने जल बोर्ड के बैंक खातों की स्टेटमेंट व वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र भी किया था और कहा था कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच बोर्ड के वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई गईं हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से बोर्ड के खातों की डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं की गई। बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं। बैंक एडजस्टमेंट के नाम पर लगभग लगभग 117 करोड़ रुपये की एंट्री दिखाई गई है, जो कहीं से भी जायज नहीं लग रही है। लगभग 135 करोड़ रुपये की एफडी प्रमाणपत्रों की जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। बोर्ड की वित्तीय स्टेटमेंट में खर्च नहीं होने वाली राशि में लगभग 1,601 करोड़ रुपये दिखाए गए हैं, जबकि बोर्ड के खातों में यह राशि कहीं दिख नहीं रही है।

Also Read