नीट मामले में CBI ने दर्ज की पहली FIR : 6 मई को शुरू हुआ था विवाद, जानिए अब तक क्या-क्या हुआ

UPT | नीट मामले में CBI ने दर्ज की पहली FIR

Jun 23, 2024 20:38

देश भर में मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट में कथित धांधली के आरोप लग रहे हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। अब मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज कर ली है।

Short Highlights
  • नीट मामले में CBI ने दर्ज की पहली FIR
  • 6 मई को शुरु हुआ था विवाद
  • पहले मामले को झुठलाती रही सरकार
New Delhi : देश भर में मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा नीट में कथित धांधली के आरोप लग रहे हैं। जहां एक ओर परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही है। इस बीच केंद्र सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। अब मामले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज कर ली है। जानिए अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ…

कहां से शुरू हुआ पूरा विवाद?
देशभर में नीट यूजी की प्रवेश परीक्षा 5 मई को आयोजित कराई गई थी। 24 लाख से अधिक छात्रों में नीट की प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लिया था। इसी दिन शास्त्रीनगर थाना पुलिस को सूचना मिली कि एक संगठित गिरोह ने कुछ अभ्यर्थियों और परीक्षा संचालन करने वाले कर्मियों के साथ मिलकर पेपर लीक कर दिया है। इसके अगले ही दिन यानी 6 मई को पटना पुलिस ने पेपर लीक की आशंका के बीच एफआईआर दर्ज कर ली। इसके बाद 11 मई को कथित पेपर लीक मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी की गई।

नतीजे जारी होने के बाद मामले ने पकड़ा तूल
4 जून को नीट परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया गया। यह रिजल्ट निर्धारित तारीख के 10 दिन पहले जारी किया गया था। इस पर छात्रों में आपत्ति जाहिर की। कहा गया कि इतने पहले रिजल्ट जारी करने की वजह क्या है। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर टॉपर्स की लिस्ट, ग्रेस मार्क का विवाद और पेपर लीक से जुड़े आरोपों की बौछार लग गई। कहा गया कि ग्रेस मार्क देकर कुछ छात्रों को जबरन टॉपर बनाया गया। वहीं कई छात्रों को 720 में से 719 और 718 नंबर मिलने पर भी विवाद हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सुनवाई शुरू हुई।

सुप्रीम कोर्ट से आया आदेश
मामले की जांच से पता चला कि 1500 से अधिक छात्रों को परीक्षा में ग्रेस मार्क दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि ग्रेस मार्क पाने वाले छात्रों की परीक्षा दोबारा कराई जाए। उधर नीट परीक्षा में पेपर लीक का मामला तूल पकड़ता जा रहा था। बिहार से लेकर महाराष्ट्र और झारखंड से लेकर गुजरात तक मामले के तार जुड़ते जा रहे है। बिहार पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उन्होंने स्वीकार किया है कि परीक्षा से एक दिन पहले ही पेपर लीक हो गया था।

पहले मामले को झुठलाती रही सरकार
नीट परीक्षा में धांधली के आरोपों को केंद्र सरकार पहले झूठा करार देती रही। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां तक कह दिया कि पेपर लीक का कोई सवाल ही नहीं उठता। लेकिन जैसे-जैसे तारीख बदलती गई, सरकार के तेवर ढीले पड़ते गए। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसी छात्र के साथ नाइंसाफी नहीं की जाएगी। 22 जून को केंद्र सरकार ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार को हटा दिया। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और 23 जून को सीबीआई ने मामले में पहली एफआईआर दर्ज की।

सीबीआई की जांच में क्या होगा?
नीट यूजी परीक्षा में कथित धांधली के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के बाद छात्रों को उम्मीद जगी है कि उन्हें न्याय मिलेगा। जांच एजेंसी राज्यों में दर्ज अलग-अलग एफआईआर को टेक ओवर करेगी और गिरफ्तार लोगों को कस्टडी में भी लिया जाएगा। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीआई से उम्मीदवारों, संस्थानों और बिचौलियों द्वारा साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, अमानत में ख्यानात और सबूतों को नष्ट करने सहित कथित अनियमितताओं की पूरी साजिश की व्यापक जांच करने का अनुरोध किया है।

रद्द हो गईं कई परीक्षाएं
नीट यूजी की परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद एनटीए की 3 बड़ी परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं। NTA ने UGC-NET की परीक्षा गड़बड़ियों की आशंका के बाद 19 जून को कैंसिल कर दी। 18 जून को यह एग्जाम दो शिफ्ट में देशभर में आयोजित हुआ था। वहीं 25 से 27 जून के बीच आयोजित होने वाली CSIR-UGC-NET की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। इसके अलावा नीट पीजी की परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया है।

सरकार ने बनाया का एंटी पेपर लीक कानून
केंद्र सरकार ने 21 जून की आधी रात को पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) एक्ट, 2024 का नॉटिफिकेशन जारी कर दिया था। इसे देश में एंटी पेपर लीक कानून भी कहा जा रहा है। इसका कानून का उद्देश्य भर्ती परीक्षाओं में नकल और अन्य गड़बड़ियां रोकना है। इसे फरवरी 2024 में संसद से पारित किया गया था। इस कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मंजूरी मिल चुकी है। कानून में पेपर लीक के दोषियों को तीन से दस साल की सजा और 10 लाख से एक करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है।

क्या अब नहीं होंगे पेपर लीक? 
कानून बन जाने का मतलब ये कतई नहीं है कि अब पेपर लीक नहीं होंगे या परीक्षाओं में धांधली नहीं होगी। लेकिन इस बात की संभावना जरूर है कि कड़े कानूनों की वजह से कोई ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगा। हालांकि ये भी जरूरी है कि किसी पेपर लीक में अपराधियों पर नए कानून के तहत कठोर कार्रवाई की जाए, अन्यथा कानून का भय खत्म हो जाएगा और ये घटनाएं आम हो जाएंगी। हालांकि नीट में धांधली करने वालों पर ये कानून लागू नहीं होगा, क्योंकि नीट परीक्षा का मामला कानून का नॉटिफिकेशन जारी होने से पहले का है।

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