Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh : दलित को रसोइया रखने पर झेलना पड़ा था बहिष्कार, जानें चौधरी चरण सिंह के जीवन की खास बातें

UPT | चौधरी चरण सिंह के जीवन की खास बातें

Feb 09, 2024 16:43

चौधरी चरण सिंह का भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर देश के तमान नेताओं ने हर्ष व्यक्त किया है। चरण सिंह को जन्म के बाद से ही काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एक दलित को रसोइया रखने पर उनका बहिष्कार भी किया गया।

Short Highlights
  • चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान
  • महात्मा गांधी स प्रभावित थे चरण सिंह
  • दलित को रसोइया रखने पर हुआ था बहिष्कार
New Delhi : भारत सरकार ने किसानों के मसीहा कहे जाने वाले नेता और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का एलान किया है। उनके साथ पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का एलान किया है। चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ गठबंधन किए जाने के कयासों के बीच मोदी सरकार के इस एलान ने सबको चौंका दिया है।

परिवार के विस्थापन से शुरू हुआ जीवन
बुलंदशहर जिले के स्याना इलाके में चितसोना अलीपुर गांव के रहने वाले मीर सिंह और नेत्र कौर 5 एकड़ खेती पट्टे पर करने के लिए करीब 15 किलोमीटर दूर नूरपुर गांव में जा बसे। यहीं 23 दिसम्बर 1902 को चरण सिंह ने जन्म लिया। कुछ साल बाद जमींदार ने यह जमीन ऊंची कीमत पर बेचने का फैसला ले लिया। यह कीमत चुकाना मीर सिंह के बूते की बात नहीं थी। मीर सिंह को जमीन छोड़नी पड़ी और वह एक बार फिर परिवार को लेकर 60 किलोमीटर दूर मेरठ के भूपगढ़ी गांव में जाकर बस गए। वर्ष 1922 तक चरण सिंह का परिवार यहीं रहा।

आगरा कॉलेज में रहकर उच्च शिक्षा हासिल की
चरण सिंह उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए आगरा कॉलेज चले गए। 1923 में बीएससी, 1925 में एमए और 1927 में कानून की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान 25 जून 1925 को गायत्री देवी से उनका विवाह हो गया था। चौधरी चरण सिंह ऐसे वक्त में बड़े हुए जब देश में आजादी की लड़ाई चरम पर थी। वह भी इससे अछूते नहीं रहे। वह सामाजिक और राजनीतिक बदलाव के लिए उस वक्त की दो महान विभूतियों स्वामी दयानंद सरस्वती और महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित हो गए। उन पर ओजस्वी हिन्दू राष्ट्रवादी कविताओं की रचना करने वाले हिन्दी कवि मैथिली शरण गुप्त की कविता 'भारत भारती' और कबीर का भी प्रभाव था। अप्रैल 1919 में अमृतसर के 'जलियांवाला बाग़' कांड ने उन्हें झकझोर दिया था।

दलितों को अपना रसोइया रखने पर बहिष्कार
जब चरण सिंह आगरा कॉलेज के हॉस्टल में रहते थे तो एक भंगी के हाथ का बना खाना खाते थे। बाद में गाजियाबाद आकर उन्होंने एक दलित को अपने घर रसोइया रखा, जो 1939 तक उनके साथ रहा। इस कारण चरण सिंह को अपने समाज और रिश्तेदारों के बीच बहिष्कार भी झेलना पड़ा था।

वकालत, आर्य समाज और कांग्रेस साथ-साथ
चौधरी चरण सिंह ने पेशेवर सामाजिक और राजनीतिक जीवन की एकसाथ शुरुआत की। तत्कालीन मेरठ जिले के गाजियाबाद शहर में उन्होंने दीवानी के मुकदमों से वकालत शुरू की। साथ ही साइमन कमीशन का विरोध उनका पहला राजनितिक कदम था। वह 27 वर्ष की उम्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बन गए। गाज़ियाबाद शहर कांग्रेस कमेटी की स्थापना की। जिसमें 1939 तक कई पदों पर रहे। समांतर रूप से 1939 तक गाज़ियाबाद आर्य समाज समिति के अध्यक्ष और महासचिव रहे।

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