लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका : बैंक खातों पर आयकर विभाग के एक्शन पर रोक की याचिका खारिज

UPT | बैंक खातों पर आयकर विभाग के एक्शन पर रोक की याचिका खारिज

Mar 09, 2024 17:54

लोकसभा चुनाव से पहले आयकर अपीलीय प्राधिकरण (ITAT) ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को आयकर विभाग ने कांग्रेस की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पार्टी ने अपने बैंक खातों पर आयकर विभाग की कार्रवाई पर स्टे की मांग की थी।

New Delhi : लोकसभा चुनाव से पहले आयकर अपीलीय प्राधिकरण (ITAT) ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। शुक्रवार को आयकर विभाग ने कांग्रेस की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पार्टी ने अपने बैंक खातों पर आयकर विभाग की कार्रवाई पर स्टे की मांग की थी। दरअसल, इनकम टैक्स रिटर्न के चलते आयकर विभाग ने कांग्रेस और यूथ कांग्रेस से संबंधित चार बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था। जिसके बाद आयकर विभाग ने कांग्रेस से पैनल्टी के तौर पर 210 करोड़ की रिकवरी मांगी थी। जिसके खिलाफ पार्टी ने आयकर अपीलीय प्राधिकरण में अपील की थी, जो आयकर विभाग ने खारिज कर दी है। 

खाते फ्रिज होने के कारण
मामला 2018-19 के इनकम टैक्स रिटर्न का है। दरअसल, ITAT के इस एक्शन का मुख्य कारण पार्टी खाते से जुड़ी जानकारी आयकर विभाग को 40-45 दिन लेट रिर्टन सब्मिट कराना है। चुनावी वर्ष में पार्टी के 199 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। उसमें से 14 लाख 40 हजार रुपये कांग्रेस के सांसद और विधायकों ने अपने वेतन का हिस्सा बताया था। साथ ही पैसे कैश में जमा किए गए थे, कैश में पैसे आने की वजह से आयकर विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ की पैनल्टी लगाई थी। 

कांग्रेस के एडवोकेट ने दिया तर्क 
मामले की सुनवाई के दौरान कांग्रेस के एडवोकेट तन्खा ने कहा कि राजनीतिक दल इस वक्त फंड का लिए मजबूर है। आगामी चुनाव के मद्देनज़र पार्टी को अभी अभियान फंडिंग के लिए संसाधनों की आवश्यकता है। एडवोकेट ने कहा कि अगर पार्टी चुनाव में केवल 350 सीटों पर भी चुनाव लड़ती है, तो उसे हर उम्मीदवार के खर्च का 50 प्रतिशत निर्वाह करना पड़ सकता है। जो आपने आप में काफी महंगा है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है।

कांग्रेस ने पार्टी से पहले की ये मांग
फैसले से पहले कांग्रेस के एडवोकेट तन्खा ने आयकर अपीलेट प्राधिकरण से आदेश को 10 दिनों के लिए स्थगित रखने का आग्रह किया ताकि वे हाईकोर्ट में अपील दायर कर सकें। लेकिन,  न्यायाधिकरण ने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि उन्हें इस तरह के आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।

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