हाईकोर्ट में तारीख पर तारीख : परेशान महिला ने वापस लिया मुकदमा, कोर्ट ने कहा- फाइन भरो नहीं तो केस चलता रहेगा 

UPT | Delhi High Court

Aug 30, 2024 19:07

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि लागत को माफ किया जाए, क्योंकि यह कानूनी सहायता का मामला है। लेकिन, पीठ ने इस अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि लागत देनी पड़ेगी, अन्यथा मामला चलाया जाएगा...

New Delhi News : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को उसके विशेष कारणों के चलते अपना केस वापस लेने की अनुमति दे दी। महिला ने अदालत को बताया कि वह बार-बार अपनी नौकरी छोड़कर कोर्ट की सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सकती। इस पर जस्टिस अनूप भंभानी ने 'लिटिगेशन फटीग' यानी मुकदमेबाजी की थकान का हवाला देते हुए उसे केस वापस लेने की अनुमति दी।

केस वापस लेने की गुहार लगाई
बार एंड बेंच के अनुसार, जब शिकायतकर्ता और आरोपी (याचिकाकर्ता) दोनों ने केस को निपटाने की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, तब ट्रायल कोर्ट में मामले की कार्यवाही चल रही थी। इस दौरान शिकायतकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह बार-बार काम छोड़कर अदालत में पेश नहीं हो सकती और केस वापस लेने की गुहार लगाई।


जस्टिस भंभानी ने इस स्थिति को मुकदमेबाजी की थकान के रूप में स्वीकार करते हुए कहा, "10 में से 7 मामलों में केस वापस लेने का मुख्य कारण यही होता है। यह मुकदमेबाजी की थकान है, जिसमें लोग मामले को आगे बढ़ाने के लिए अदालत नहीं आ पाते।" 

हालांकि, जस्टिस भंभानी ने यह भी स्वीकार किया कि यह संभवतः केस वापस लेने का एकमात्र कारण नहीं था। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता एफआईआर को भी वापस ले रही थी, क्योंकि उसे डर था कि याचिकाकर्ता उसे और शर्मिंदा करेंगे।

10,000 रुपये की लागत लगाने का आदेश 
सुनवाई के बाद, कोर्ट ने केस वापस लेने की अनुमति देने के लिए एक शर्त रखी। अदालत ने कहा कि यदि दोनों पक्ष (आरोपी और याचिकाकर्ता) लागत देने के लिए सहमत हों, तो केस वापस लिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता को दो प्रमुख कारणों से केस वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा: पहला, मामले को आगे बढ़ाने में समय लगता है और दूसरा, जांच के दौरान उसे शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते, कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपये की लागत लगाने का आदेश दिया।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि लागत को माफ किया जाए, क्योंकि यह कानूनी सहायता का मामला है। लेकिन, पीठ ने इस अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि लागत देनी पड़ेगी, अन्यथा मामला चलाया जाएगा। अंततः, केस को निपटारे की शर्त के रूप में याचिकाकर्ता पर 10,000 रुपए की लागत लगाई गई।

Also Read