Parliament of India : क्या है लोकसभा और राज्यसभा में अंतर, क्यों भंग नहीं होता उच्च सदन, जानिए सबकुछ...

UPT | संसद भवन

Feb 27, 2024 16:39

भारतीय संसद प्रणाली के लोकसभा और राज्यसभा दो सदन हैं। दोनों ही सदन भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इन दोनों सदनों में काफी अंतर है...

New Delhi News : भारतीय संसद प्रणाली के लोकसभा और राज्यसभा दो सदन हैं। दोनों ही सदन भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इन दोनों सदनों में काफी अंतर है। लोकसभा को संसद के निचले सदन और राज्यसभा को संसद के उपरी सदन के रूप में जाना जाता है। राज्यसभा का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 80 में है तो वहीं, लोकसभा का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 81 में है। इससे अलग दोनों सदनों की शक्तियों, कार्यकाल और उम्र में भी काफी अंतर है। आइए दोनों सदनों के बारे में गहराई से समझें।

लोकसभा क्या है?
भारतीय संसद प्रणाली के दोनों सदनों में लोकसभा अधिक शक्तिशाली है क्योंकि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। राज्यसभा धन विधेयक को अस्वीकार या संशोधित नहीं कर सकती। कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसकी पूर्ण शक्ति लोकसभा अध्यक्ष के पास है। वित्तीय चिंताओं को लेकर लोकसभा में बढ़त है।

राज्यसभा क्या है?
राज्यसभा को उच्च सदन या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। राज्यसभा एक स्थायी निकाय है। राज्यसभा के सदस्यों को चुनने के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव आयोजित किए जाते हैं। भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा की अध्यक्षता करता है, जो उसका सभापति भी होता है।

लोकसभा और राज्यसभा में अंतर

सदस्यों की चयन प्रक्रिया : जनता मतदान प्रक्रिया के माध्यम से लोकसभा के सदस्यों का चुनाव करती है वहीं, राज्यसभा में सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।

उम्र सीमा : लोकसभा का प्रतिनिधि बनने के लिए व्यक्ति की न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए वहीं, राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 साल होनी चाहिए।

सदस्यों की संख्या :  राज्यसभा और लोकसभा की सीटों की संख्या बराबर नहीं होता हैं। वर्तमान में लोकसभा के सदस्‍य संख्‍या 543 है। हालांकि, इसकी अधिकतम सदस्य संख्या 552 है। वहीं, राज्यसभा की सीटों की संख्या 250 है।

मनोनीत सदस्यों की संख्या : भारत के राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियंस के 2 सदस्यों को मनोनीत कर सकते थे। लेकिन, हाल ही में 104वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 2019 के अधिनियमन के माध्यम से लोकसभा में दो एंग्लो इंडियंस का नामांकन समाप्त कर दिया गया है। वहीं, राज्यसभा में राष्ट्रपति कला, शिक्षा, समाजसेवा और खेल जैसे क्षेत्रों से संबंधित 12 लोगों मनोनीत करते हैं

कार्यकाल : लोकसभा सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। इसके बाद लोकसभा स्थगित हो जाती है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसे भंग नहीं किया जा सकता। 2 वर्ष की अवधि के बाद, राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य रिटायर हो जाते हैं। राज्यसभा का कार्यकाल 6 वर्ष होता है।

अध्यक्षता : लोकसभा की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है, राज्यसभा की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति करता है।

सदनों की शक्तियां : शक्ति के मामले में लोकसभा और राज्यसभा के बीच अंतर धन विधेयक, अविश्वास प्रस्ताव पेश करने और केंद्रीय बजट के अनुदान की मांग को लेकर है। धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, यह सदन देश में शासन चलाने के लिए धन आवंटित करता है। वहीं, राज्यसभा को धन विधेयक के संबंध में अधिक शक्तियां प्राप्त नहीं हैं। राज्यसभा को इस बिल को सिफारिश या बिना सिफारिश के 14 दिन के भीतर लोकसभा को वापस भेजना होता है। वह इस पर रोक नहीं लगा सकती है। कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका फैसला लेने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष के पास होता है। राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाना और नई अखिल भारतीय सेवाएं शुरू करना जैसे क्षेत्र ऐसे हैं जहां राज्यसभा के पास अधिक शक्ति है।

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