चंद पैसों के लिए स्वास्थ्य से खिलवाड़ : यूपी में धड़ल्ले से बिक रहा नकली दूध, 3 साल में FSSAI के सैंपलों में आधे से अधिक फेल

UPT | यूपी में धड़ल्ले से बिक रहा नकली दूध

Aug 14, 2024 15:12

राज्यसभा में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, दूध में यूरिया और अन्य हानिकारक कैमिकल्स की मिलावट अब एक गंभीर मुद्दा बन गई है।

Short Highlights
  • चंद पैसों के लिए स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
  • उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामले
  • दूध में यूरिया, कास्टिक सोडा की मिलावट
New Delhi : हाल के वर्षों में दूध में मिलावट की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, और यह अब केवल पानी की मिलावट तक सीमित नहीं रही है। राज्यसभा में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, दूध में यूरिया और अन्य हानिकारक कैमिकल्स की मिलावट अब एक गंभीर मुद्दा बन गई है। त्यौहारी सीजन से पहले पेश की गई इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दूध और इसके उत्पादों में मिलावट इतनी आम हो गई है कि आधे से अधिक सैंपल रिजेक्ट हो रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामले
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और केरल में दूध में मिलावट के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। उत्तर प्रदेश में 2023-24 में 27,750 सैंपल में से 16,183 सैंपल फेल हुए हैं। इसी तरह, राजस्थान में 18,264 सैंपल में से 3,564, तमिलनाडु में 18,146 सैंपल में से 2,237 और केरल में 10,792 सैंपल में से 1,297 सैंपल रिजेक्ट हुए हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि इन राज्यों में दूध की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहा है।

दूध में यूरिया, कास्टिक सोडा की मिलावट
मिलावटी दूध के व्यापार में पकड़े गए मामलों की संख्या भी चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश में 1,928, तमिलनाडु में 944, केरल में 737, महाराष्ट्र में 191 और बिहार में 174 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में दूध में यूरिया, कास्टिक सोडा, माल्ट्रोडेक्सट्रिन और हाइड्रोजन पैराक्साइड जैसी हानिकारक रसायनों की मिलावट की जाती है। इसके अतिरिक्त, खराब स्वाद को छिपाने के लिए स्टार्च का उपयोग किया जाता है, जिससे मिलावटी दूध का टेस्ट पहचानना कठिन हो गया है।

लैब टेस्ट के बिना पहचान मुश्किल
इन मिलावटी दूध की पहचान अब मशीनों और लैब टेस्ट के बिना करना मुश्किल हो गया है। दूध की गुणवत्ता को सुरक्षित रखने के लिए कड़ी निगरानी और नियमित जांच की आवश्यकता है। इस समस्या को रोकने के लिए सरकारी एजेंसियों को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। पिछले साल फरवरी में आई गाजियाबाद के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की रिपोर्ट ने भी मिलावटी दूध की पोल खोली थी। एडीएम सिटी की अदालत में सुनवाई के बाद नामी कंपनियों के दूध के अलावा सिंभावली शुगर मिल, पिज्जा हट समेत 31 प्रतिष्ठानों पर 33.95 लाख का जुर्माना लगाया था।

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