कभी हॉकी खरीदने के नहीं होते थे पैसे : अब यूपी पुलिस में हैं डीएसपी, जानिए ललित उपाध्याय की कहानी

UPT | जानिए ललित उपाध्याय की कहानी

Jul 20, 2024 20:06

ललित उपाध्याय पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। 1 दिसंबर 1993 को वाराणसी में जन्मे ललित उपाध्याय वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी हैं। एक वक्त ऐसा भी था कि ललित के पास हॉकी खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे।

Short Highlights
  • पेरिस ओलंपिक में ललित उपाध्याय का चयन
  • भाई को देखकर सीखा हॉकी खेलना
  • पुलिस में डीएसपी का मिला पद
New Delhi : ललित उपाध्याय पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। 1 दिसंबर 1993 को वाराणसी में जन्मे ललित उपाध्याय वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी हैं। एक वक्त ऐसा भी था कि ललित के पास हॉकी खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे। उनके पिता एक साधारण सी प्राइवेट नौकरी करते थे। लेकिन आज वाराणसी के इस लाल ने अपनी काबिलियत के दम पर वह मुकाम हासिल कर दिखाया, जिससे दूसरे भी प्रेरणा ले रहे हैं।

भाई को देखकर सीखा हॉकी खेलना
ललित उपाध्याय के घर की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं थी। उनके पिता प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। किसी तरह केवल घर का गुजारा ही चल पाता था। ललिता के बड़े भाई अमित भी हॉकी खेलते थे। उन्हें देखकर ललित के मन में भी हॉकी के प्रति प्रेम जागा। ललित ने हॉकी को ही अपने जीवल का लक्ष्य बना लिया। अपनी मेहनत के दम पर ललित ने कई खिताब हासिल किए। वह भारत पेट्रोलियम में ग्रेड ए अधिकारी के पद तक भी पहुंचे।

वाराणसी में हॉकी का रहा है इतिहास
वाराणसी में हॉकी का अपना एक अलग इतिहास रहा है। विवेक सिंह, मोहम्मद शाहिद के बाद अब ललित उपाध्याय हॉकी के क्षेत्र में न सिर्फ जिले बल्कि पूरे देश का नाम रौशन कर रहे हैं। ललित वाराणसी के छोटे से गांव भगवानपुर से आते हैं। वह ऑल इंडिया केडी सिंह बाबू प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुके हैं। ललित ने ये साबित कर दिया है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। कभी यूपी कॉलेज से मैदान में हॉकी का हुनर सीखने वाले ललित आप पूरे देश के लिए मिसाल बन चुके हैं।

जब यूपी सरकार से ललित की ठनी
टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत को हॉकी के लिए ब्रॉन्ज मेडल मिला था। ललित इस टीम का हिस्सा थे। तब यूपी सरकार की तरफ से ललित उपाध्याय को ओएसडी का ऑफर दिया गया था। लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि प्रदेश सरकार की ओर से दी गई नौकरी के लिए नियम और शर्तें अजीबोगरीब हैं। उनका कहा था कि इस नौकरी में न तो मुझे प्रमोशन मिलेगा, न ही पुलिस की यूनिफॉर्म। साथ ही शासन की ओर से भेजे पत्र में भी पद को अस्थायी बताया गया। ललित ने कहा था कि या तो मुझे सीधी भर्ती दी जाए या स्पोर्ट्स में नौकरी दी जाए।

पुलिस में डीएसपी का मिला पद
हालांकि इस घटना के करीब एक साल बाद यूपी सरकार ने ललित उपाध्याय को उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी के पद पर नियुक्ति दी थी। राज्य सरकार ने ललित कुमार उपाध्याय के लिए पुलिस विभाग में पुलिस उपाधीक्षक के समकक्ष समूह ‘ख’ में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परिधि के बाहर विशेष कार्याधिकारी का अस्थायी पद सृजित किया था। इस संबंध में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा था कि ललित कुमार उपाध्याय को पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के समकक्ष विशेष कार्याधिकारी के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों का सम्मान प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। खिलाड़ियों को सम्मान दिये जाने के साथ ही उन्हें सरकारी सेवा में सेवायोजित करना भी प्रारम्भ किया गया है। इसी क्रम में ललित उपाध्याय को यह नियुक्ति दी गई है।

ललित उपाध्याय को मिले हैं कई पुरस्कार
ललित उपाध्याय को देश का गौरव बढ़ाने के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वह अब तक 210 से अधिक अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच खेल चुके हैं। उन्हें 2017 में लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2020 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2021 में ललित उपाध्याय को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अर्जुन पुरस्कार पाने वाले ललित वाराणसी के दूसरे खिलाड़ी बने थे। तब यूपी सरकार ने ललित उपाध्याय को 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार भी दिया था।

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