जल्द खत्म होगी टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतार : GNSS लागू होने से बदल जाए सब कुछ, जानिए कैसे काम करेगा यह सिस्टम

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Jul 19, 2024 15:38

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित बैरियर-फ्री टोल कलेक्शन की शुरुआत के साथ हाईवे पर गाड़ी चलाने वाले यूजर्स को एक नई सुविधा का लाभ मिलने वाला है। इस पहल...

New Delhi News : ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित बैरियर-फ्री टोल कलेक्शन की शुरुआत के साथ हाईवे पर गाड़ी चलाने वाले यूजर्स को एक नई सुविधा का लाभ मिलने वाला है। इस पहल के माध्यम से गाड़ी चालकों को बिना रुकावट के 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक की तेज रफ्तार से टोल गेट पार करने की सुविधा दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह पहल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा अनुमोदित की गई है। इस सिस्टम का उद्देश्य है कि यात्री बिना टोल बूथ पर रुके, बिना किसी असुविधा के, अपनी यात्रा को अविवाहित रख सकें। यह सुविधा साइबरियन सिस्टम (यानी GNSS आधारित टेक्नोलॉजी) का उपयोग करके काम करेगी। जिसे गाड़ी में एक स्पेशल डिवाइस लगाकर एक निश्चित क्षेत्र में यात्रा करते समय आपकी आईडी और वाहन की जानकारी आपत्तिहीन रूप से एक सेंट्रल सर्वर को भेजी जाती है।


GNSS पर आधारित होगा नया सिस्टम
अधिकारियों ने बताया कि हाईवे यूजर फीस कलेक्शन को लेकर एक नई व्यवस्था की शुरुआत की जा रही है, जिसमें शुल्क प्लाजा पर शुरुआत में एक या दो लेन उपलब्ध होंगी। इस व्यवस्था का उद्देश्य टोल कलेक्शन की गणना में गड़बड़ी को रोकना और टोल डिफॉल्टरों की जांच में मदद करना है। यह नया सिस्टम GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) पर आधारित होगा। जिसमें हाईवे पर यात्रा की दूरी के आधार पर टोल लिया जाएगा। इसमें सैटेलाइट-आधारित सिस्टम वाहनों की स्थिति और गतिविधि को निरंतर ट्रैक करेगा, जिससे केवल वैध वाहन ही टोल गेट पार कर पाएंगे। इसमें लेन अग्रिम रीडिंग, पहचान और प्रवर्तन उपकरण शामिल होंगे, जो वाहनों की पहचान और शुल्क की गणना करेंगे। वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कहा, "यह सिस्टम सम्भावित लाभों के साथ टोल कलेक्शन को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। हमें आशा है कि इससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी और टोल सिस्टम में परिवर्तन लाया जा सकेगा।"

यातायात को अधिक सुगम बनाने का प्रयास
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने एक अहम पहल की घोषणा की है। जिसमें जल्द ही वाणिज्यिक वाहनों के लिए GNSS-आधारित टोलिंग को पहले चरण में लागू किया जाएगा। इस पहल के तहत NHAI ने विशेष रूप से अभिनव और योग्य कंपनियों से वैश्विक निविदा आमंत्रित की है, जो GNSS-आधारित टोल संग्रह को विकसित और कार्यान्वित करेंगी। इस प्रयास का उद्देश्य है कि यातायात को अधिक सुगम और दक्षिणपंथी बनाने के साथ-साथ टोल प्लाजा पर यात्रीगण की अनुशांसित गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जाए। इस प्रक्रिया में चयनित एजेंसी वाहनों के लिए एक डेडिकेटेड GNSS लेन के लेआउट को विकसित करेगी। जिसमें अग्रिम साइनेज, मार्किंग, लाइटिंग और अन्य आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था शामिल होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जीएनएसएस से लैस वाहनों को टोल प्लाजा से अविघटित गुजरने में कोई समस्या न हो, विशेष रूप से जब ये वाहन तेज रफ्तार वाले फास्टैग वाहनों के साथ संघर्ष को अपेक्षित रूप से अवरुद्ध करते हैं।

इन वाहनों पर होगा लागू
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के तहत एनएचएआई ने एक उन्नत और प्रौद्योगिकी प्रणाली की घोषणा की है। जो टोल संग्रह में वैश्विक मानक स्तर को पहुंचने का लक्ष्य रखती है। इस प्रणाली में उपयुक्तता और प्रभावकारिता को महत्व दिया गया है, जिसमें ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान कैमरे, रेडियो-फ्रीक्वेंसी आधारित फास्टैग, और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) से सुसंगत टोल संग्रह शामिल हैं। इस प्रणाली में, अधिकारी वाहनों की पहचान करते हैं और उनका वजन और प्रकार ऑटोमैटिक रूप से अनुमानित करते हैं, जो टोल शुल्क का हिसाब लगाने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में टोल प्लाजा के लेन भी जीएनएसएस लेन में बदले जाएंगे, जिससे संचालन में सुधार और व्यवस्थितता आएगी। इस परियोजना के अंतर्गत, एनएचएआई को लगभग 70,000 किलोमीटर के राष्ट्रीय हाईवे के रखरखाव और प्रबंधन का कार्य सौंपा गया है, जो एक व्यापक 1,50,000 किलोमीटर नेटवर्क का हिस्सा है। इसके अलावा, नेशनल हाईवे फीस नियम, 2008 के अनुसार, इन हाईवे पर यूजर फीस वसूलने का दायित्व एनएचएआई को सौंपा गया है। वर्तमान में, नेशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे के लगभग 45,000 किलोमीटर के लिए टोल वसूला जाता है।

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