New Delhi News : आर के सिन्हा के अवसर ट्रस्ट ने दी लक्ष्मी के सपनों को उड़ान, पर्वतारोहण की दुनिया में बनाई पहचान

UPT | लक्ष्मी झा को मिली नई पहचान।

Jul 03, 2024 18:54

लक्ष्मी झा की इच्छा बचपन से ही पर्वतारोहण के क्षेत्र में करियर बनाने की थी लेकिन धन के अभाव के कारण वह अपनी इच्छा को दबाए बैठी थीं। डॉ. सिन्हा अपने कई कारोबार के अलावा अवसर ट्रस्ट भी चलाते हैं, जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावा उनके रहने खाने आदि की निशुल्क व्यवस्था रहती है।

New Delhi News : बिहार के सहरसा जिले के बनगांव ग्राम में 2 फरवरी 1997 को एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुईं लक्ष्मी झा अब किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। वह पर्वतारोहण की दुनिया में जाना पहचाना नाम हो गई हैं। उन्होंने अनेक अवसरों पर न सिर्फ अपना बल्कि देश का  गौरव बढ़ाया है। लक्ष्मी झा के सपनों को पंख तब लगे जब 2019 में किसी परिचित के माध्यम से उनकी मुलाकात राज्यसभा के पूर्व सदस्य डॉ. आर के सिन्हा से हुई। 

अवसर ट्रस्ट ने की मदद
लक्ष्मी झा की इच्छा बचपन से ही पर्वतारोहण के क्षेत्र में करियर बनाने की थी लेकिन धन के अभाव के कारण वह अपनी इच्छा को दबाए बैठी थीं। डॉ. सिन्हा अपने कई कारोबार के अलावा अवसर ट्रस्ट भी चलाते हैं, जिसमें गरीब बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के अलावा उनके रहने खाने आदि की निशुल्क व्यवस्था रहती है। डॉ. सिन्हा ने लक्ष्मी के सपनों को पंख दिया। उन्होंने उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट से लक्ष्मी के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराई और उसका सारा खर्च उठाया। उसी साल सोलो बेस कैंप पर तिरंगा झंडा फहराकर लक्ष्मी ने अपने हिम्मत और हौसले का लोहा मनवा लिया। ऐसा करने वाली वह बिहार की पहली पर्वतारोही बनीं। नतीजतन उन्हें विद्यापति पर्व समारोह के दौरान मिथिला के सबसे बड़े साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

लक्ष्मी झा ने बनाया कीर्तिमान
डॉ. सिन्हा की प्रेरणा से लक्ष्मी झा ने वर्ष 2023 में दक्षिण अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी क्लिम अंजारो महिलाओं में सबसे कम समय 41 घंटा में पहुंचने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। उसी साल तुर्की की सबसे ऊंची चोटी अरारत पहुंचने वाली भारत की पहली पर्वतारोही बनीं। 

साल 2023 में ही लद्दाख की मेंटोक चोटी पर लक्ष्मी ने तिरंगा फहराया 
लक्ष्मी के इस प्रयास में हर बार आर के सिन्हा ने न सिर्फ आर्थिक मदद दी बल्कि हर तरह से सहयोग किया। लक्ष्मी अपनी कामयाबी का श्रेय डॉ. आर के सिन्हा को देती हैं। वह कहती हैं कि जिस ईश्वर ने बचपन में उनके सिर से पिता का साया हटा लिया था। अब वही ईश्वर इसके लिए सिन्हा को भेज दिया है। लक्ष्मी कल 4 जुलाई को मलेशिया जा रही हैं। वह वहां माउंट किनाबालु बोर्नियो और मलेशिया के सबसे चे पर्वत पर चढ़ाई करेंगी। 4,095 मीटर (13,435 फीट) की ऊंचाई के साथ, यह पृथ्वी पर एक द्वीप की तीसरी सबसे ऊंची चोटी, दक्षिण पूर्व एशिया की 28वीं सबसे ऊंची चोटी और दुनिया का 20वां सबसे प्रमुख पर्वत है। ऐसा करने वाली वह भारत की पहली पर्वतारोही हैं। उनकी इस यात्रा की सारी व्यवस्था हर बार की तरह श्री आर के सिन्हा कर रहे हैं।

आज दिल्ली के प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में डॉ. सिन्हा ने कहा कि समाज की दबी ढकी प्रतिभाओं को आगे लाने में उन्हें आत्मिक सुख मिलता है। उन्होंने कहा कि समाज का दिया लौटाना हम सभी का दायित्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अवसर ट्रस्ट आगे भी प्रतिभाओं की मदद जारी रखेगा। संवाददाता सम्मेलन में डॉ. आर के सिन्हा के अलावा ख्यातनाम पर्वतारोही अनिता कुंडू, लक्ष्मी झा, अवसर ट्रस्ट के सीईओ अनुरंजन श्रीवास्तव और वरिष्ठ पत्रकार राधा रमण मौजूद थे। 

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