प्रदेश के टाइगर रिजर्व में बढ़ रही पर्यटकों की संख्या : टूरिज्म नहीं, इस वजह से बनाने पड़े बाघों के लिए 'सरकारी आवास'

UPT | टाइगर रिजर्व में बढ़ रही पर्यटकों की संख्या

Jun 14, 2024 16:49

उत्तर प्रदेश के टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों की संख्या में इस बार काफी वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023-24 में दुधवा टाइगर रिजर्व में कुल 57,062 पर्यटक आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15 हजार अधिक है।

Short Highlights
  • टाइगर रिजर्व में बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
  • दुधवा टाइगर रिजर्व 15 हजार पर्यटक बढ़े
  • रानीपुर टाइगर रिजर्व में 4990 पर्यटक बढ़े
New Delhi : पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक शानदार खबर है। उत्तर प्रदेश के टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटकों की संख्या में इस बार काफी वृद्धि हुई है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2023-24 में दुधवा टाइगर रिजर्व में कुल 57,062 पर्यटक आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15 हजार अधिक है। इसी तरह, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में इस साल 14,765 पर्यटक, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में 1022 पर्यटक और रानीपुर टाइगर रिजर्व में 4990 पर्यटक बढ़े हैं। जाहिर है कि उत्तर प्रदेश के ये टाइगर रिजर्व पर्यटकों को भा रहे हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि टाइगर रिजर्व बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

जब खत्म हो गए थे सारे बाघ
सबसे पहले आपको कुछ आंकड़े बता देते हैं। एक अनुमान के मुताबिक 19वीं सदी के अंत तक भारत में बाघों की संख्या लगभग 40 हजार थी। लेकिन 1973 आते-आते अवैध शिकार और जंगलों की बेइंतहा कटान के चलते बाघों की संख्या देश में मात्र 268 बाघ ही बचे। तब तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार पर दबाव पड़ा और प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया। जिसके तहत विशेष रूप से बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए थे। ये अभयारण्य या टाइगर रिजर्व, जंगली बाघों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं। उस समय उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर रिजर्व बनाया गया। सरकार के लगातार प्रयासों को नतीजा है कि 2023 तक देश में बाघों की संख्या लगभग 3,682 हो गई है।

टूरिज्म ही नहीं है सब कुछ
नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व दोनों ही वन्यजीव संरक्षण के लिए स्थापित किए जाते हैं, लेकिन उनमें कुछ अंतर है। नेशनल पार्क एक संपूर्ण परिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने पर केंद्रित है, जबकि टाइगर रिजर्व विशेष रूप से बाघों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए बनाया गया है। दोनों में पर्यटन गतिविधियां होती हैं, लेकिन टाइगर रिजर्व में यह अधिक नियंत्रित और निगरानी में होता है। हालांकि टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क बनाने का असली उद्देश्य सिर्फ टूरिज्म को बढ़ावा देना नहीं है। इससे प्रकृति को संरक्षित रखने में मदद मिलती है। यह लोगों में प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरूकता और प्रेरणा पैदा करता है। प्रकृति और जैव विविधता का संरक्षण न केवल वन्यजीव के अस्तित्व के लिए, बल्कि पूरी पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए भी जरूरी है। टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क इस संरक्षण प्रयासों का एक महत्वपूर्ण बिंदु हैं। वे केवल बाघों और अन्य वन्यजीवों को ही नहीं, बल्कि पूरे जैव विविधता को भी बचाते हैं। 

उत्तर प्रदेश में कितने बाघ
उत्तर प्रदेश दुनिया के सबसे बड़े बाघ आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। राज्य में कुल चार टाइगर रिजर्व हैं- दुधवा टाइगर रिजर्व, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, अमानगढ़ टाइगर रिजर्व और रानीपुर टाइगर रिजर्व। इनमें से दुधवा और पीलीभीत सबसे महत्वपूर्ण हैं, जहां क्रमशः लगभग 250 और 109 बाघ निवास करते हैं। ये आंकड़े 2022 की गणना के आधार पर हैं और अब संख्या और बढ़ी होगी। उत्तर प्रदेश में बढ़ रही बाघों की संख्या के साथ-साथ पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। सरकार के प्रयासों से बेहतर सुविधाएं और बुनियादी ढांचा मुहैया कराया गया है। स्थानीय स्तर पर भी बहुत सारे रोजगार और व्यापार के नए अवसर पैदा हुए हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों से बाघों की आबादी बढ़ी है और पर्यटक इन शानदार जानवरों को देखने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।

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