यूनिफॉर्म सिविल कोड : उत्तराखंड का 'पहाड़' जैसा फैसला उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लिए बनेगा नजीर?

UPT | यूसीसी पर उत्तर प्रदेश का रवैया इतना शिथिल क्यों?

Feb 06, 2024 17:06

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का बिल पेश कर दिया गया है. लेकिन इसके साथ ही राज्य में विरोध भी शुरू हो गए हैं. सवाल पूछा जा रहा है कि यूसीसी पर उत्तर प्रदेश का रवैया इतना शिथिल क्यों दिख रहा है?

Short Highlights
  • उत्तराखंड की विधानसभा में यूसीसी बिल पेश
  • उत्तर प्रदेश में नहीं दिख रही कोई सुगबुगाहट
  • डिप्टी सीएम बोले- 'सही समय पर लागू करेंगे'
New Delhi : उत्तराखंड की विधानसभा में समान नागरिक संहिता का बिल पेश कर दिया गया है. इसके कानून बनने के बाद राज्य में सभी धर्मों के लोगों के लिए एकसमान नियम लागू होंगे. लेकिन उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए जिस तरह से दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है, वह उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों के लिए एक मिसाल बन सकता है.

लोकसभा चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट तो नहीं?
साल 2024 के मध्य में देश में लोकसभा के चुनाव होने है. उससे ठीक पहले उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड का पेश किया जाना अपने आप में काफी कुछ बयां करता है. संभव है कि बीजेपी इसे 2024 के लोकसभा चुनावों में लिटमस टेस्ट की तरह प्रयोग करना चाह रही हो. उत्तर प्रदेश समेत तमाम बीजेपी शासित राज्यों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सुगबुगाहट जरूर देखने को मिल रही है, लेकिन संभव है कि इस पर कोई ड्राफ्ट बनाने से पहले लोकसभा चुनावों के नतीजों का इंतजार किया जा रहा हो.

यूपी में विधि आयोग से मिली मंजूरी, फिर सन्नाटा
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर जितनी तेजी दिखी है, उतनी यूपी या बीजेपी शासित दूसरे राज्यों में नहीं है. उत्तर प्रदेश में राज्य विधि आयोग की तरफ से सैद्धांतिक मंजूरी तो मिल गई, लेकिन उससे आगे कुछ नहीं हुआ. गाहे-बगाहे सुर्खियां बन जाती हैं कि विधि आयोग जल्द सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है, लेकिन फिर सब ठंडा पड़ जाता है. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अपने हालिया बयान में संकेत भी दे दिया है कि यूपी सरकार फिलहाल यूसीसी को लेकर कोई जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है. केशव मौर्य ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में यूसीसी सही समय पर आएगा.

विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रही यूपी सरकार?
उत्तर प्रदेश में 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ पर प्रदेश की जनता ने एक बार फिर भरोसा जताया था. लेकिन उत्तराखंड में भी यह करिश्मा दोहराया जा सके, इसकी उम्मीद कम ही है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड यूसीसी के लिए सबसे मुफीद राज्य था. अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव में यह जीत की गारंटी के तौर पर प्रस्तुत किया जा सकता है.

सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला राज्य है यूपी
2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश मुस्लिम आबादी के मामले में नंबर 1 पर है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में यूसीसी लागू करना बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई मुस्लिम संगठनों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है.

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