RO-ARO paper leak : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली परीक्षा पर उठे सवाल, जारी है पेपर लीक का सिलसिला

UPT | उत्तर प्रदेश में बदस्तूर जारी है पेपर लीक का सिलसिला

Feb 13, 2024 15:14

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी को आरओ और एआरओ की परीक्षा करवाई गई थी, जिसमें पेपर लीक के आरोप लगने के बाद एसटीएफ जांच के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन प्रदेश में पेपर लीक का ये कोई एकलौता मामला नहीं है।

Short Highlights
  • योगी सरकार में भी नहीं थमी भर्ती परीक्षाओं में धांधली
  • 11 फरवरी को आरओ-एआरओ परीक्षा का पेपर लीक
  • लंबी है योगी सरकार में पेपर लीक घटनाओं की लिस्ट
New Delhi : 11 फरवरी और रविवार का दिन। कॉर्पोरेट कर्मचारियों के लिए आमतौर पर रविवार का दिन फुरसत के पल बिताने का होता है। लेकिन दिन-रात एक कर सरकारी इम्तिहान की तैयारी करने वाले उत्तर प्रदेश के लाखों अभ्यर्थी इस दिन अपनी मेहनत सफल करने की उम्मीद लेकर परीक्षा केंद्र पहुंचे थे। लेकिन परीक्षा के दौरान ही सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र की आंसर की वायरल होने लगी। उधर गाजीपुर के एक परीक्षा केंद्र पर कुछ अभ्यर्थी पेपर लीक होने का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। ये जो तथ्य हम आपको बता रहे हैं, वह उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाने वाली आरओ और एआरओ की परीक्षा से जुड़ा है। 11 फरवरी को पेपर लीक होने की बात सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इसका वीडियो सामने आने के बाद योगी सरकार पर निशाना साधा।

पहले किया इंकार, फिर एसटीएफ को थमाई जांच
पेपर लीक की जानकारी सामने आने के बाद पहले तो आयोग ने ऐसी किसी भी घटना को मानने से ही इंकार कर दिया। लेकिन मामले के तूल पकड़े जाने के बाद एक आंतरिक कमेटी बना दी। साथ ही प्रदेश की योगी सरकार को मसले की एसटीएफ से जांच करवाने के लिए सिफारिश भेजी। अब एसटीएफ इस पूरे मामले की जांच करेगी। लेकिन न तो सरकार और न ही आयोग ने प्रदेश के लाखों युवाओं के भविष्य से होने वाले इस खिलवाड़ पर कोई सख्त गाइडलाइन बनाई और न ही इसे लेकर फुलप्रूफ सिस्टम बनाया।

सिर्फ सरकारी दावे, हकीकत कोसों दूर
मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब प्रदेश के युवाओं को उनसे काफी उम्मीदें थीं। पिछली सरकारों के दौरान भर्तियों में हुई धांधली और युवाओं के भविष्य का मुद्दा बीजेपी ने चुनाव में खूब भुनाया था। लेकिन तारीख बदली, सरकार भी बदली, पर नहीं बदले तो बस हालात। सिर्फ साल 2022 में योगी सरकार का कार्यकाल खत्म होने तक ही प्रदेश में पेपर लीक और धांधली की 11 बड़ी घटनाएं हुईं। सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद नकल माफियाओं पर लगाम लगी, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे थे।

सरकार बनते ही हुआ पहला पेपर लीक
19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और उसी साल 25 और 26 जुलाई को होने वाली दरोगा भर्ती परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। वजह पेपर लीक। एक्शन हुए, गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन नतीजा- निल बटे सन्नाटा। फिर जो जैसे सिलसिला बन गया। वो कहावत है न कि मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया, वैसा ही कारंवा उत्तर प्रदेश में बना, मगर पेपर लीक के मामलों का।

2018 में लव लेटर से ज्यादा पेपर लीक हुए
सोशल मीडिया पर प्रेमी-प्रेमिका के बीच दिए गए प्रेम-पत्र की जितनी तस्वीरें वायरल नहीं हुईं। उससे ज्यादा योगी सरकार में सरकारी भर्तियों के प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर तैरने लगे। अब आप गिनते जाइए, हम एक-एक कर बताते हैं और अगर गिनते-गिनते गिनती ही  भूल जाएं, तो हमारा दोष नहीं। साल 2018 की फरवरी में यूपीपीसीएल के जूनियर इंजीनियर की परीक्षा का पर्चा लीक हो गया। मई में ग्राम विकास अधिकारी की 1953 पदों के लिए भर्ती निकली, लेकिन रिजल्ट के बाद धांधली के चलते परीक्षा रद्द कर दी गई। जून में आरक्षी नागरिक पुलिस की भर्ती परीक्षा होनी थी। अभ्यर्थी सेंटर पहुंचे तो उन्हें गलत पेपर बांट दिया गया। नतीजा- परीक्षा रद्द करनी पड़ी। साल 2018 का ही जुलाई महीना। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की लोअर सबऑर्डिनेट पद की परीक्षा पेपर लीक होने के कारण रद्द करनी पड़ी। उसी साल का सिंतबर महीना, जब अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा ही करवाई जाने वाली ट्यूबवेल ऑपरेटर की परीक्षा का पेपर लीक हो गया। दिसंबर 2018 में आई 69000 सहायक अध्यापक भर्ती के लिए निकली वैकेंसी धांधली के आरोपों के चलते अभी भी अधर में लटकी है और अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं।

अभी गिनती बाकी है...
अप्रैल 2021 में फॉरेस्ट गार्ड की परीक्षा होनी थी, लेकिन आयोग परीक्षा करवाने के इंतजाम ही नहीं कर पाया। नतीजा- परीक्षा रद्द करनी पड़ी। अगस्त 2021 में UPSSC द्वारा PET के इम्तिहान करवाए जाने थे। खूब तैयारी हुई, हजारों सीसीटीवी लगवाए गए, खूब दावे हुए, मगर पेपर फिर भी लीक हो गया। अक्टूबर 2021 में सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षक और प्रधानाचार्य की भर्ती परीक्षा होनी थी, लेकिन एक प्रिंसिपल ने अपनी बेटी को पास कराने के लिए पेपर लीक करवा दिया। नवंबर 2021 में एक ही दिन दो बड़ी परीक्षाएं होनी थीं। एक SI भर्ती और दूसरी TET की। जाहिर तौर पर कई अभ्यर्थियों ने दोनों परीक्षाओं का फॉर्म भरा होगा, लेकिन तारीख की वजह से एक ही दे पाए होंगे। इनमें से जिन्होंने ने भी UPTET को चुना, अपनी किस्मत फोड़ ली। पेपर लीक हो गया और परीक्षा रद्द। संख्या यहीं थमी नही है। लेखपाल भर्ती और यूपी बोर्ड परीक्षा के अंग्रेजी विषय के पेपर लीक होने का तो हमने अभी जिक्र भी नहीं किया।

सुर्खियां बनी तो जांच हुई, जो पता न चली उनका क्या?
जिस पेपर लीक की घटना ने तूल पकड़ा, उसमें जांच हुई। लेकिन यकीनन कई घटनाएं ऐसी भी हुई होंगी, जो सामने नहीं आईं। अगस्त 2021 में बीएड की परीक्षा और सितंबर में नीट की परीक्षा में भी पेपर लीक के आरोप लगे, लेकिन अधिकारियों ने इसे फर्जी करार दे दिया। लेकिन पेपर लीक की इन तमाम घटनाओं ने न सिर्फ प्रदेश के युवाओं की मेहनत पर पानी फेरा है, बल्कि सरकारी नौकरी पाने की उनकी उम्मीदों पर भी पलीता लगा दिया है।

रासुका लगाएंगे, बुलडोजर चलाएंगे, पर आगे क्या?
उत्तर प्रदेश में पेपर लीक की किसी भी घटना के बाद आप अगले दिन अखबार खोलकर देख लीजिए, एक बयान आपको हर बार दिखेगा कि आरोपियों पर रासुका लगाया जाएगा, उनके घर पर बुलडोजर चलेंगे। लेकिन इन सब का नतीजा क्या है? एक और पेपर लीक? स्थिति तो देखिए कि 2005 में ही लॉ कमीशन ने परीक्षा लीक को रोकने के लिए एक फुलप्रूफ एक्ट की सिफारिश की थी, लेकिन किसी सरकार ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई।

फॉर्म भरिए, फिर भूल जाइए
सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले लाखों अभ्यर्थी इस बात से वाकिफ होंगे कि फॉर्म भरने से लेकर परीक्षा देने और जॉइनिंग मिलने के बीच कितनी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। थोड़ा इंटरनेट खंगालेंगे तो समझ जाएंगे कि प्रदेश में ऐसी तमाम भर्तियां हैं, जिनके लिए फॉर्म तो कबके भरे जा चुके हैं, लेकिन उनकी परीक्षा की तारीख अब तक घोषित नहीं हुई है। जिनकी परीक्षा हो गई है, उनके रिजल्ट नहीं आए हैं। रिजल्ट आ गए हैं तो जॉइनिंग अटकी पड़ी है। इस बीच में अगर धांधली हो जाए तो प्रदर्शन से लेकर कोर्ट के चक्कर काटते रहिए और अपने ही हक के लिए भीख मांगते रहिए।

जब चुनाव सही समय पर, तो परीक्षाएं क्यों नहीं?
थोड़ा दिमाग पर जोर डालिए और याद कर बताइए कि कभी कोई ऐसा वाकया आपको याद आता है कि फलां चुनाव के लिए नॉटिफिकेशन जारी हो गया है, लेकिन मतदान के लिए तारीख घोषित नहीं हुई है? या कोई ऐसा वाकया कि मतदान होने के बाद चुनाव का रिजल्ट ही कई सालों तक घोषित नहीं हुआ हो। नहीं न। तो फिर भर्ती परीक्षाओं के साथ ये सौतेल व्यवहार क्यों?

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