ओलंपिक पहुंचे यूपी के रामबाबू : पेट पालने के लिए की मजदूरी, जानिए इनकी सफलता के संघर्ष की कहानी

UPT | ओलंपिक पहुंचे यूपी के रामबाबू

Jul 20, 2024 20:19

राम बाबू ने स्लोवाकिया में डुडिंस्का 50 मीट में 1:20:00 सेकेंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर पेरिस ओलंपिक के लिए पुरुष 20 किमी रेस क्वालीफिकेशन मानक हासिल किया, अब वह पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेंगे...

New Delhi News : यूपी के राम बाबू ने ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई होकर प्रदेश का नाम रोशन किया है। राम बाबू ने स्लोवाकिया में डुडिंस्का 50 मीट में 1:20:00 सेकेंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर पेरिस ओलंपिक के लिए पुरुष 20 किमी रेस क्वालीफिकेशन मानक हासिल किया। वह पेरिस ओलंपिक 2024 में हिस्सा लेंगे। रामबाबू ने एशियन गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 35 किमी पैदल चाल में भारत को कांस्य पदक दिलाया। आइये उनके ओलंपिक तक पहुंचने के सफर के बारे में जानते हैं।

कौन हैं रामबाबू
रामबाबू उत्तर प्रदेश में सोनभद्र के बहुअरा के भैरवागांधी गांव के निवासी हैं। उनके पिता छोटेलाल मजदूर किसान हैं। उनके घर की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है। गांव के प्राथमिक स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, रामबाबू का चयन नवोदय विद्यालय के लिए हुआ। खेलों के प्रति उनकी गहरी रुचि रही है। 2012 के लंदन ओलंपिक को देखकर उन्होंने धावक बनने का निर्णय लिया और गांव की पगडंडी पर दौड़ना शुरू किया। संसाधनों की कमी के कारण, उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के लिए वाराणसी जाने का निर्णय लिया।



होटल में किया काम
वाराणसी आने के बाद इतने पैसे नहीं होते थे कि वह अच्छी डाइट ले सकें। इसके बाद उन्होंने पैसों के लिए एक होटल में काम किया। लेकिन कोरोना के दौरान होटल बंद हो गया और उन्हें घर लौटना पड़ा। गांव में अपने पिता के साथ मनरेगा के तहत तालाब खोदने का काम करके रामबाबू ने परिवार का गुजारा करने में मदद की। कोरोना के हालात सामान्य होने पर, उन्होंने भोपाल का रुख किया, जहां पूर्व ओलंपियन बसंत बहादुर राणा ने उन्हें प्रशिक्षण दिया। मेहनत और समर्पण के कारण, रामबाबू ने 35 किमी पैदल चाल की राष्ट्रीय ओपन चैंपियनशिप में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता। इस उपलब्धि के साथ ही उन्हें राष्ट्रीय कैंप में शामिल होने का मौका भी मिला।

परिवार में कौन-कौन हैं
रामबाबू की तीन बहनें हैं। दो बड़ी बहन पूजा और किरन की शादी हो गई है। तीसरी बहन का नाम सुमन है। उनके पिता का नाम छोटेलाल और माता का नाम मीना देवी है। रामबाबू का एक किस्सा खूब चर्चित है। राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने के बाद जब रामबाबू से उनकी इच्छा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने घर में पानी की समस्या का जिक्र किया था। इसके बाद डीएम चंद्र विजय सिंह ने रामबाबू की इच्छा के मुताबिक घर के पास हैंडपंप लगवा दिया।

संघर्ष के बाद ऐसे पहुंचे ओलंपिक
पिछले साल रामबाबू की प्रतिभा ने काफी सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों की पैदल चाल स्पर्धा में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम करते हुए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 35 किमी की दूरी सिर्फ 2 घंटे 36 मिनट और 34 सेकंड में पूरी की। रामबाबू ने राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। इसके बाद, 15 फरवरी को रांची में आयोजित राष्ट्रीय पैदल चाल चैंपियनशिप में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2 घंटे 31 मिनट 36 सेकंड का समय दर्ज किया। 25 मार्च को स्लोवाकिया में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भी उन्होंने 2 घंटे 29 मिनट 56 सेकंड में दूरी तय की। इसके बाद राम बाबू ने शनिवार को स्लोवाकिया में डुडिंस्का 50 मीट में 1:20:00 सेकेंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय निकालकर पेरिस ओलंपिक के लिए पुरुष 20 किमी रेस क्वालीफिकेशन मानक हासिल किया।

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