Waqf Bill 2024 : भाजपा सांसद जगदंबिका पाल होंगे JPC के अध्यक्ष, जानिए समिति में कौन हैं मेंबर?

UPT | बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल होंगे JPC के अध्यक्ष

Aug 13, 2024 16:41

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है। भाजपा के वरिष्ठ लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल को इस विवादास्पद विधेयक की समीक्षा के लिए गठित समिति का अध्यक्ष...

New Delhi : वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024 की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है। भाजपा के वरिष्ठ लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल को इस विवादास्पद विधेयक की समीक्षा के लिए गठित समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। 31 सदस्यों की समिति गठित की गई है, जिसमें 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से होंगे। यह कमेटी अगले सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

कौन हैं जगदंबिका पाल
जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट से सांसद हैं और यह उनकी चौथी बार सांसद बनने की अवधि है। उन्होंने 2009 में कांग्रेस से सांसद के रूप में अपना करियर शुरू किया, लेकिन 2014 में भाजपा ज्वाइन की और तीसरी बार सांसद बने। इससे पहले, वह कांग्रेस (तिवारी) और लोकहित कांग्रेस में भी रह चुके हैं। जगदंबिका पाल एक दिन के मुख्यमंत्री भी रहे हैं, हालांकि उच्च न्यायालय ने उन्हें इस पद का मान्यता नहीं दी है।



ऐसे बनाई जेपीसी 
बता दें कि 8 अगस्त को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 को लोकसभा में प्रस्तुत किया। विपक्षी दलों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई, जिसके बाद किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। केंद्र सरकार के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी विधेयक को जेपीसी के पास भेजने की सिफारिश की।

जगदंबिका पाल ही क्यों बने अध्यक्ष
जगदंबिका पाल को जेपीसी का अध्यक्ष इसलिए बनाया गया क्योंकि उनकी विभिन्न दलों में व्यापक स्वीकार्यता है। उनके लंबे संसदीय अनुभव और वरिष्ठता को ध्यान में रखते हुए यह जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय में भी उनकी अच्छी पहुंच मानी जाती है, जिससे वे संसद और सड़क दोनों ही स्तर पर एक सर्वमान्य नेता के रूप में जाने जाते हैं। पाल 2002 में यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और 1993 से 2007 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य भी रहे हैं।

लोकसभा से ये सदस्य
लोकसभा से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में कांग्रेस के सदस्य गौरव गोगोई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी से मोहिबुल्लाह, तृणमूल कांग्रेस से कल्याण बनर्जी, डीएमके से ए राजा, तेलुगु देशम पार्टी से लावु श्री कृष्ण देवरायलु, जेडीयू से दिलेश्वर कामैत, शिवसेना-यूबीटी से अरविंद सावंत, एनसीपी-शरद पवार से सुरेश म्हात्रे, शिवसेना से नरेश म्हस्के, लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास से अरुण भारती, और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी भी इस पैनल के सदस्य हैं।

राज्यसभा से ये सदस्य
राज्यसभा में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में चार-चार सदस्य भाजपा और विपक्ष से हैं, और एक मनोनीत सदस्य भी है। राज्यसभा से समिति में शामिल सदस्यों में भाजपा से बृज लाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, और राधा मोहन दास अग्रवाल हैं। विपक्ष से कांग्रेस के सैयद नसीर हुसैन, तृणमूल कांग्रेस के मोहम्मद नदीमुल हक, वाईएसआरसीपी के वी विजयसाई रेड्डी, और डीएमके के एम मोहम्मद अब्दुल्ला शामिल हैं। आम आदमी पार्टी (आप) से संजय सिंह और मनोनीत सदस्य धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े भी पैनल में शामिल हैं।

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क्या होती है जेपीसी?

संसद को ऐसे एजेंसी की जरूरत होती है जिसपर पूरे सदन को भरोसा हो, और इसके लिए संसदीय समितियां बनाई जाती हैं। इन समितियों में संसद के सदस्य होते हैं, और ये समितियां विभिन्न मामलों की जांच करती हैं। विशेष रूप से, ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) का गठन वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए किया जाता है। चूंकि संसद के पास बहुत सारा काम होता है और समय सीमित होता है, इसलिए कई मामलों को गहराई से देखने के लिए समितियां बनाई जाती हैं। ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। संसदीय समितियों का गठन संसद के अध्यक्ष के निर्देश पर होता है, और ये समितियां अपनी रिपोर्ट संसद या अध्यक्ष को सौंपती हैं।

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