Chaitra Navratri 2024 : नवरात्र के पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें क्या है पूजा की विधि, मंत्र और भोग

UPT | नवरात्र के पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा

Apr 10, 2024 10:44

आज से यानी 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू शुरुआत हो गयी हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र नवरात्र की पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है और फिर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है...

Chaitra Navratri 2024 : आज से यानी 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गयी है। हर मंदिर और घरों में नवरात्र की तैयारियां पूरी हो चुकी है। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र नवरात्र की पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है और फिर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। मां शैलपुत्री का पूजन करने से अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है, साथ ही यश मिलता है। तो जान लीजिए प्रथम दिन यानी मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती।

देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती
कहा जाता है मां देवी ही ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश के रूप में सृष्टि का सृजन,पालन और संहार करती हैं। शुंभ-निशुंभ,मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए ही माँ पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए थे लेकिन देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इसी के साथ ही नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशेष रूप को समर्पित किया जाता है। मां के हर स्वरूप की उपासना करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की अर्चना की जाती है।

चैत्र नवरात्र में पूजा करने की विधि
  • इन दिनों ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद साफ और धुले हुए कपड़े पहन कर मंदिर की सफाई करें।
  • फिर मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
  • इसके बाद माता का सोलह श्रृंगार करें और फूल माला अर्पित करें।
  • ये सब करने के बाद एक कलश लें और उसे आम के पत्तों से सजाएं, कलश के चारों तरफ लाल पवित्र कलावा बांधें, फिर उस कलश पर नारियल स्थापित करें।
  • अब दीपक जलाकर आरती करें और सच्चे मन से दुर्गा सप्तशती पाठ का पाठ करें।

इन चीजों का लगाएं मां शैलपुत्री को भोग
मां शैलपुत्री को हलवा, रबड़ी या मावा का भोग लगाएं। इसके साथ आप भोग में फल भी शामिल कर सकते हैं। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से मां शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं।

मां शैलपुत्री के इस मंत्र का करें उच्चारण
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

इसलिए की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा
सती के पिता दक्ष प्रजापति ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था और तब सती ने अपने आपको यज्ञ अग्नि में भस्म कर लिया था। अगले जन्म में यही सती शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया। नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के समस्त संकट, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।

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