हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : रिटायर्ड जेलर शशिकांत त्रिपाठी के खिलाफ वसूली पर लगाई रोक, प्रशासन से मांगा जवाब

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Jan 18, 2025 10:46

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वे पुनरीक्षित वेतन के अनुसार याची को बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करें। साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से चार...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ललितपुर जिला जेल के सेवानिवृत्त डिप्टी जेलर शशिकांत त्रिपाठी से अधिक भुगतान की वसूली पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वे पुनरीक्षित वेतन के अनुसार याची को बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करें। साथ ही अदालत ने मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई की तिथि 28 फरवरी निर्धारित की गई है।

याचिका का मुख्य आधार
यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने याची शशिकांत त्रिपाठी की याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचिका में शशिकांत त्रिपाठी ने दावा किया कि वह 30 जून 2024 को ललितपुर जिला जेल में डिप्टी जेलर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। लेकिन 9 दिसंबर 2024 को जेल अधीक्षक द्वारा उन्हें ₹5,30,187 की वसूली का नोटिस जारी किया गया। याची का कहना है कि वेतन निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह से विभाग द्वारा की गई थी और इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी। गलत वेतन निर्धारण के कारण उन्हें अधिक वेतन का भुगतान किया गया। इसलिए उन्हें दोषी ठहराना और वसूली करना अनुचित है।


अदालत का रुख
अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए याची की दलील को विचारणीय माना। अदालत ने कहा कि वसूली के आदेश को तब तक स्थगित रखा जाएगा। जब तक राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत जवाब के आधार पर मामले का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।

याची का पक्ष
याची ने तर्क दिया कि वेतन निर्धारण की जिम्मेदारी विभाग की थी, जिसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। सेवानिवृत्ति के बाद बकाया राशि और परिलाभों के भुगतान के बजाय वसूली का आदेश देना असंवैधानिक और अनुचित है। वसूली के इस आदेश से न केवल याची को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि यह न्याय के सिद्धांतों के भी विपरीत है।

अदालत का आदेश और निर्देश
अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि राज्य सरकार को निर्देश दिया कि चार सप्ताह के भीतर मामले पर जवाब दाखिल करें। वसूली के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी जाएं। इसके आगे कहा कि याची को पुनरीक्षित वेतन के आधार पर बकाया सेवानिवृत्ति परिलाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी 2025 को होगी। अदालत का अंतिम निर्णय इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित कर सकता है।

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