हाईकोर्ट का आदेश : रिटायर होने के बाद नहीं हो सकती विभागीय जांच, इतने रुपये की वसूली भी रद्द

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट।

Aug 30, 2024 02:24

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि कर्मचारी रिटायर होने के बाद वह कर्मचारी नहीं रह जाता है। इसलिए सेवानिवृत्त होने के बाद उसके खिलाफ...

Prayagraj News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में कहा है कि कर्मचारी रिटायर होने के बाद वह कर्मचारी नहीं रह जाता है। इसलिए सेवानिवृत्त होने के बाद उसके खिलाफ नियमानुसार विभागीय जांच नहीं की जा सकती। इसी के साथ न्यायालय ने राज्य भंडारण निगम फतेहपुर के सेवानिवृत्त कर्मचारी से 27 लाख 21 हजरा 930 सौ 26 की वसूली रद्द कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि विभागीय जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। याची को साक्ष्य प्रस्तुत करने एवं सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। एकपक्षीय जांच के आधार पर सेवा से हटाकर वसूली आदेश जारी किया गया।



कोर्ट ने तर्क को मानने से इनकार कर दिया
न्यायालय ने राज्य भंडारण निगम के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया कि नियमित जांच करने के लिए प्रकरण विभाग में वापस भेजा जाए। क्योंकि जांच कार्यवाही याची के रिटायर होने से पहले शुरू की गई थी और बाद में दंडित किया गया। न्यायालय ने कहा कि रिटायर होने के बाद याची निगम का कर्मचारी ही नहीं रहा तो उसके खिलाफ विभाक जांच कैसे की जा सकती है। हाईकोर्ट ने यह आदेश भंडारण सहायक रहे सुंदरलाल की याचिका को आधिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया।

चार्जशीट के जवाब पर विचार नहीं किया गया
याची के अधिवक्ता आशुतोष त्रिपाठी का कहना था विभागीय जांच में जांच अधिकारी द्वारा मौखिक साक्ष्य के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई। याची की सफाई का मौका नहीं दिया गया। चार्जशीट के जवाब पर विचार नहीं किया गया और न ही जवाब से असंतुष्ट होने का कोई कारण बताया गया। जांच में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।

Also Read