इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश : टिफिन में नॉनवेज लाने पर निष्कासित छात्र को मिली राहत, दूसरे स्कूल में दाखिला सुनिश्चित कराने का दिया निर्देश

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Dec 19, 2024 16:06

कोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश जारी किया है कि वे दो सप्ताह के भीतर बच्चे और उनके दो अन्य भाई-बहनों का एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में कराएं।

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमरोहा जिले के एक स्कूल में टिफिन में नॉनवेज लाने पर कक्षा तीन के छात्र को स्कूल से निष्कासित करने के मामले में अहम आदेश दिया है। कोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश जारी किया है कि वे दो सप्ताह के भीतर बच्चे और उनके दो अन्य भाई-बहनों का एडमिशन किसी दूसरे स्कूल में कराएं।
 
जानिए पूरा मामला
स्कूल प्रशासन ने बच्चों को टिफिन में मांसाहार (बिरयानी) लाने के कारण निष्कासित कर दिया था, जिसे कोर्ट ने उचित नहीं माना। यह मामला उस समय सामने आया जब कक्षा तीन के छात्र और उनके दो अन्य भाई-बहन स्कूल में टिफिन में बिरयानी लेकर गए थे। स्कूल प्रशासन ने बच्चों के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई और उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया। बच्चों के माता-पिता ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी और अदालत ने इस मामले की सुनवाई की।

हाईकोर्ट की सुनवाई और आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह बच्चों का मौलिक अधिकार है कि वे अपनी शिक्षा प्राप्त करें और स्कूल प्रशासन का यह कदम उनके इस अधिकार का उल्लंघन करता है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अमरोहा जिले के जिलाधिकारी को आदेश जारी किया कि वे दो सप्ताह के भीतर तीनों बच्चों का एडमिशन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध किसी दूसरे स्कूल में कराएं। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जिलाधिकारी इस आदेश का पालन करने का हलफनामा भी प्रस्तुत करें। यदि जिलाधिकारी इस संबंध में हलफनामा प्रस्तुत नहीं करते हैं तो उन्हें अगले सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया गया है।

बच्चों के शिक्षा के अधिकार को लेकर अदालत की चिंता
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि स्कूल द्वारा बच्चों को निष्कासित करने से उनका शिक्षा का अधिकार प्रभावित हो रहा है। जो हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। उन्होंने अदालत से यह भी अनुरोध किया कि बच्चों का एडमिशन जल्द से जल्द किसी अन्य स्कूल में कराया जाए ताकि उनका शिक्षा जीवन प्रभावित न हो। इस मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी 2024 को होगी। जब अदालत यह देखेगी कि जिलाधिकारी ने आदेश का पालन किया है या नहीं।

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