उदघोष के साथ भारतीय नववर्ष का स्वागत : सूर्य की पहली किरण के साथ हुआ नववर्ष का शंखनाद

UPT | संखनाद करते जितेंद्रानंद सरस्वती महाराज और जस्टिस मंजू रानी चौहान

Apr 09, 2024 09:13

संगम नगरी प्रयागराज में चैत्र नवरात्र और नव संवत्सर का भव्य तरीके से स्वागत किया गया। इस मौके पर सिविल लाइन स्थित हनुमत निकेतन मंदिर में उद्घोष 2081 का आयोजन किया गया। ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होने वाले नव संवत्सर यानि हिंदू नव वर्ष के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसके साथ ही आज के दिन ही महाराज विक्रमादित्य सत्ता पर आसीन हुए थे और विक्रमी संवत्सर की शुरुआत भी हुई थी।

Short Highlights

आज के दिन ही नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ग्रह और नक्षत्रों में परिवर्तन होता है।

ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होने वाले नव संवत्सर यानि हिंदू नव वर्ष के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी।

आज के दिन ही महाराज विक्रमादित्य सत्ता पर आसीन हुए थे और विक्रमी संवत्सर की शुरुआत भी हुई थी। 

Prayagraj News: संगम नगरी प्रयागराज में चैत्र नवरात्र और नव संवत्सर का भव्य तरीके से स्वागत किया गया। इस मौके पर सिविल लाइन स्थित हनुमत निकेतन मंदिर में उद्घोष 2081 का आयोजन किया गया। ऐसी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुरू होने वाले नव संवत्सर यानि हिंदू नव वर्ष के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसके साथ ही आज के दिन ही महाराज विक्रमादित्य सत्ता पर आसीन हुए थे और विक्रमी संवत्सर की शुरुआत भी हुई थी।

कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर बी बी अग्रवाल के मुताबिक पिछले 7 वर्षों से लगातार नव संवत्सर का उद्घोष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में नव संवत्सर की पहली किरण का स्वागत घंटे घड़ियाल, डमरू और शंखनाद बजाकर किया गया। इस मौके पर बटुकों ने स्वास्तिक वाचन किया और और पूरा वातावरण घंटे घड़ियाल और शंख ध्वनि से गूंज उठा। इस मौके पर जमकर पुष्प वर्षा भी की गई। डॉ बी बी अग्रवाल के मुताबिक इस कार्यक्रम का एकमात्र उद्देश्य यही है कि हमारी सनातन संस्कृति का जन-जन तक प्रचार प्रसार हो सके।    ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ग्रह और नक्षत्रों में परिवर्तन होता है। जिसका प्रभाव वातावरण और मानव जाति पर भी पड़ता है। इसके साथ ही प्रभु श्री राम का अवतार भी चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक 9वें दिन आर्य समाज की स्थापना भी हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि और युगादि का प्रारंभिक दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन का स्वागत शंखनाद ओम के उच्चारण और जलांजलि के अभिषेक से करना शुभ माना गया है।   हिंदू नव वर्ष के मौके पर आयोजित उद्घोष 2081 का शुभारंभ अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव दंडी स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने किया। इस मौके पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस मंजू रानी चौहान और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। 

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