फर्जी डिग्री का खेल : तीन सौ छात्रों से वसूले लाखों रुपये, जानिए मेडिकल कॉलेज से रिसॉर्ट तक का सफर

UPT | फर्जी डिग्री का खेल

Aug 12, 2024 02:07

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में पैरामेडिकल की पढ़ाई के नाम पर बड़ी रकम की फीस वसूलने का मामला सामने आया है। प्रतापगढ़ के तीन थानों में आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया...

Pratapgarh News : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में पैरामेडिकल की पढ़ाई के नाम पर बड़ी रकम की फीस वसूलने का मामला सामने आया है। प्रतापगढ़ के तीन थानों में आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोप है कि डीफार्मा, बीफार्मा और अन्य डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए तीन सौ छात्रों से भारी फीस ली गई और स्कूल को एक रिसॉर्ट में बदल दिया गया।

आठ लोगों पर मुकदमा
पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने शनिवार को जानकारी दी कि पिछले सात वर्षों में लगभग तीन सौ छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रमों के दौरान नकली दस्तावेजों पर फर्जी डिग्रियां प्रदान की। जब छात्रों को इस धोखाधड़ी का पता चला और उन्होंने विरोध किया, तो कॉलेज प्रबंधन से जुड़े लोगों ने उनके साथ मारपीट की। पीड़ित छात्रों की शिकायत के आधार पर संग्रामगढ़, महेशगंज, और मानिकपुर थानों में संचालक आशीष कुमार यादव समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

रिसॉर्ट में बदला मेडिकल कॉलेज
आशीष कुमार यादव लोकैयापुर, मनगढ़ का निवासी है। सीओ लालगंज रामसूरत सोनकर को मामले की जांच सौंप दी गई है। जांच के दौरान, जिस स्थान को मेडिकल कॉलेज बताया जा रहा था, वहां एक रिसॉर्ट मिला। प्रतापगढ़ के गेटवे कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड मेडिकल कॉलेज के संचालक को पुलिस ने जेल भेज दिया है। आरोपी पर आरोप है कि उसने फेल छात्रों को पास कराने और कम फीस में डीफार्मा, बीफार्मा सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों की डिग्री देने का झांसा दिया। आरोपी ने लगभग तीन सौ विद्यार्थियों से लाखों रुपये वसूले और बाद में कॉलेज को रिसॉर्ट में बदल दिया।

ऐसे हुआ फर्जी डिग्री का खुलासा
संग्रामगढ़ के पूरे कुंदन फतेह साहपुर निवासी मुकेश कुमार गेटवे कॉलेज ऑफ फार्मेसी और मेडिकल कॉलेज का छात्र था। उसने 2021-22 सत्र में डी-फार्मा कोर्स किया था। मुकेश ने आरोप लगाया कि कॉलेज के प्रबंधक आशीष यादव ने उसे यूजीसी मान्यता प्राप्त पीसीआई लिंक ग्रीन कार्ड और 45 हजार रुपये वार्षिक छात्रवृत्ति के साथ दाखिला दिलाया था। मुकेश का कहना है कि डी-फार्मा कोर्स पूरा होने के बाद प्रबंधक ने उसे सिंघानिया यूनिवर्सिटी, झुंझुनू, राजस्थान से संबंधित एक फर्जी प्रमाण पत्र दिया। जांच में यह डिग्री फर्जी साबित हुई।

कौन है पूरे खेल का मास्टरमाइंड
फर्जी मेडिकल कॉलेज संचालक आशीष कुमार यादव ने खुद को अंग्रेजी में परास्नातक और कंप्यूटर में कुशल बताते हुए प्रचार किया। उसने परिवार के सदस्यों और मित्रों के नाम पर "किसान उत्थान सेवा समिति" नामक एक सोसाइटी रजिस्टर कराई और शांतिपुरम चौराहा, फाफामऊ, प्रयागराज में एक ऑफिस खोलकर प्रचार-प्रसार किया। उसने फेल छात्रों को पास कराने और कम पैसे में विभिन्न डिप्लोमा पाठ्यक्रमों जैसे डी-फार्मा, बीएसी नर्सिंग, एनएम, जीएनएम, आईटीआई, अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन, आप्टोमेट्री, फीजियोथेरेपी, डीएमएलटी, योगा डिप्लोमा, पॉलिटेक्निक, ट्रिपलसी आदि कराने का दावा किया। इसके लिए उसने 65 हजार से लेकर सवा लाख रुपये तक वसूले।

यूपी के इन जिलों में भी चल रहा घोटाला
सीओ रामसूरत सोनकर ने बताया कि जांच में सामने आया कि आशीष कुमार यादव ने वाराणसी, प्रयागराज, अमेठी और अन्य जिलों में अपना फर्जी नेटवर्क फैला रखा था। 2019-2020 सत्र के दौरान, उसने सबसे पहले छात्र सुधांशु दास से डीफार्मा कोर्स के लिए 1.40 लाख रुपये लिए। आशीष ने लगभग तीन सौ विद्यार्थियों को अपने जाल में फंसाने में सफलता प्राप्त की।

आरोपी से यह सब किया बरामद
संचालक आशीष कुमार यादव के पास से चार मोबाइल फोन, फर्जी आईकार्ड, सिंघानिया यूनिवर्सिटी की मोहर, चेकबुक, क्यूआर कोड, और फर्जी मार्कशीट सहित कई अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, आशीष के बैंक खाते में जमा 9.60 लाख रुपये को फ्रीज कर दिया गया है ताकि न्यायालय के आदेश पर ये रुपये छात्रों को वापस किए जा सकें। फर्जी संचालक को जेल भेजने के साथ ही डिग्रियों की जांच के लिए पुलिस की एक टीम राजस्थान भेजी जाएगी। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान कर रही है और इस मामले की जांच में मदद के लिए पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

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