मौनी अमावस्या के मौके पर हर साल करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाने संगम तट पर आते हैं। उसमें कई श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं, जो विकलांगता के कारण पैदल संगम घाट तक नहीं पहुंच पाते हैं। इससे उनके मन में गंगा में डुबकी लगाने का सौभाग्य न मिलने की टीस बनी रहती है।