अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा गाजीपुर शक्तिपीठ पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरु पूर्णिमा पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया। सुबह 8 बजे ही गायत्री शक्तिपीठ...
Jul 21, 2024 19:08
अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा गाजीपुर शक्तिपीठ पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरु पूर्णिमा पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया। सुबह 8 बजे ही गायत्री शक्तिपीठ...
Ghazipur News : अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा गाजीपुर शक्तिपीठ पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गुरु पूर्णिमा पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया। सुबह 8 बजे ही गायत्री शक्तिपीठ गोंडा देहाती पर श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। इसके बाद देव पूजन प्रारंभ हुआ। इस दौरान दूर-दराज से आए हुए माताओं-बहनों के मंगल गीतों से कैंपस गूंजायमान रहा।
गुरु हमें जीवन विद्या सीखाते हैं
गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य प्रबंध ट्रस्टी सुरेंद्र सिंह ने गुरु और शिष्य के प्रकार संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि गुरु हमें जीवन विद्या सीखाते हैं, जीवन को समझना सीखाते हैं। जीवन के सिद्धांतों से, जीवन के स्वरूप से, जीवन के तत्व से व जीवन के आधार से हमारा परिचय कराते हैं। कहा कि गुरु शिष्य का संबंध बहुत अद्भुत है और गुरु पूर्णिमा का यह संदेश भी अद्भुत है। जो हमें सच्चे शिष्यत्व के विकास, पात्रता के अर्जन, समर्पण, विसर्जन, व विलय का संदेश देता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा का पर्व हम सभी के लिए सार्थक है। हम सभी अति सौभाग्यशाली हैं कि इस महान पल को जीने के लिए हम सब एकत्रित हैं। इस क्रम में उन्होंने गायत्री महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गायत्री वह दैवीय शक्ति है, जिससे संबंध स्थापित करके मनुष्य अपने जीवन विकास के मार्ग में बड़ी सहायता प्राप्त कर सकता है।
गायत्री मनुष्य को सद्बुद्धि की प्रेरणा देती है
परमात्मा की अनेक शक्तियों हैं, जिनके कार्य और गुण पृथक पृथक है। उन शक्तियों में गायत्री का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है। गायत्री मनुष्य को सद्बुद्धि की प्रेरणा देती है ।सद्ज्ञान की उपासना का नाम ही गायत्री साधना है। कहा कि गायत्री ही कामधेनु है, जो उसकी पूजा, उपासना, आराधना और अभिवादन करता है, वह प्रतिक्षण माता का अमृतोपन करने का आनंद लेता है। समस्त अज्ञानों, आसक्तियों और भाव के कारण उत्पन्न होने वाले कष्टों से छुटकारा पाकर मनोवांछित फल प्राप्त करता है। वहां मौजूद सैकड़ो श्रद्धालुओं ने गायत्री माता की जय, परम पूज्य गुरुदेव की जय, वंदनिया माता की जय के नारे लगाते रहे।
यज्ञ में आहुति समर्पित करने के लिए लग रहा तांता
देव पूजन के बाद सभी श्रद्धालुओं ने गायत्री मंदिर के तृतीय तल पर बने यज्ञशाला में अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यज्ञ में आहुतियां समर्पित की। यज्ञ की महिमा पर प्रकाश डालते हुए यज्ञ का संचालन कर रहे रविंद्र शास्त्री ने कहा कि यज्ञ करने वाले मनुष्य का तेजबल बढ़ता है, सद्बुद्धि की वृद्धि होती है। यज्ञ के द्वारा मनुष्य का देव शक्तियों के साथ संपर्क सधता है। देवता का सीधा अनुग्रह यज्ञकर्ता पर आध्यात्मिक और भौतिक क्षेत्र की अनेकों सिद्धियां उसे प्राप्त होती हैं। उन्होंने कहा कि गायत्री सद्बुद्धि की देवी है और यज्ञ सत्कर्मों का पिता है। सद्भावनाओं और सत्तप्रवृत्तियों के अभिवर्धन के लिए गायत्री माता और यज्ञ पिता का युग्म हर दृष्टि से सफल और समर्थ सिद्ध होता है।
यज्ञ न करने वाले मनुष्य का तेज नष्ट होता है
यज्ञ ही संसार का सर्वश्रेष्ठ शुभ कार्य है, क्योंकि यज्ञ रहित मनुष्य का तेज नष्ट हो जाता है। यज्ञ के समापन के बाद मानवीय मन में परिवर्तन करने योग्य गुरुवर द्वारा लिखित विशेष सद्दवाक्यों को उच्चारित किया गया। कहा गया कि मन को विचारों और दुर्भावनाओं से बचाए रखने के लिए स्वाध्याय एवं सत्संग की व्यवस्था रखेंगे। हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतरेंगे। इंद्रिय संयम, अर्थ संयम, समय, संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करेंगे। हम बदलेंगे-युग बदलेगा, हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा इस तथ्य पर हमारा पूरा विश्वास है। इस तरह के सद्दवाक्यों का संकल्प लेने के बाद सभी गायत्री परिजनों ने अपने-अपने थाल में दीपक सजाकर गायत्री आरती किया। तत्पश्चात भोजन प्रसाद देकर सभी श्रद्धालुओं की विदाई की गई।
कार्यक्रम में सहयोगी रहे
कार्यक्रम को सफल बनाने में रामकिशोर राय, माधुरी सिंह, क्षितिज श्रीवास्तव, पवन, उमेश यादव, राहुल सिंह, मनोज जायसवाल, मारुति राय, लवहर सिंह यादव, रोली सिंह, रमेश यादव, संजय तिवारी, ममता सिंह, शांति वर्मा सहित अनेक गायत्री परिजनों का सहयोग रहा।