भाजपा पर स्वामी निश्रलानंद का हमला : रामलला पूजा में न बुलाकर किया मर्यादा का उल्लंघन, हार का कारण बनी...

UPT | स्वामी निश्रलानंद सरस्वती

Oct 19, 2024 22:58

जौनपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीयकृत अभियान यात्रा के दौरान, जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्रलानंद सरस्वती के द्वारा जनपद के तिलकधारी महाविद्यालय के बलरामपुर हॉल में सनातन धर्म और संस्कृति पर एक महत्वपूर्ण आयोजन किया जा रहा है...

Jaunpur News : जौनपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीयकृत अभियान यात्रा के दौरान जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्रलानंद सरस्वती के द्वारा जनपद के तिलकधारी महाविद्यालय के बलरामपुर हॉल में सनातन धर्म और संस्कृति पर एक महत्वपूर्ण आयोजन किया जा रहा है। इस संबंध में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में जिन लोगों में सनातन धर्म के संस्कार की कमी है, उसके लिए उनके माता-पिता को कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उनका यह विचार है कि परिवारों का संस्कार और शिक्षण बहुत महत्वपूर्ण होता है।

'भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ रहा'
उन्होंने कहा कि अगर बच्चों को प्रारंभ से ही सही संस्कार दिए जाएं, तो वे अपने भीतर उन संस्कारों को आत्मसात कर लेंगे। लेकिन वर्तमान में माता-पिता बच्चों को आवश्यक संस्कार नहीं दे पा रहे हैं। यदि माता-पिता में संस्कार मौजूद हैं, तो निश्चित ही बच्चों के अंदर संस्कार आएंगे। इस विषय को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने भारत की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की ओर बढ़ रहा है। यहां भगवान और देवियों के अवतरण की परंपरा रही है। उनका मानना है कि भारत पहले से ही विश्व गुरु था, है और आगे भी रहेगा।



कुंभ मेले में पहचान पत्र बनाने पर बोले...
प्रयागराज में हो रहे कुंभ मेले के दौरान, अखाड़ा परिषद ने संतों के लिए पहचान पत्र बनाने के लिए निर्देश जारी किए हैं। इस पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह धर्म से संबंधित मामला है और अधिकारियों को कोई भी बयान देने से पहले देश के चार शंकराचार्य से परामर्श करना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि अखाड़ा परिषद और शासन को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि भारत में चार शंकराचार्य हैं, जिनका सम्मान किया जाना चाहिए।

भाजपा पर किया तीखा हमला
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि पार्टी ने मर्यादा का उल्लंघन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए भाजपा ने रामलला की पूजा में शंकराचार्य को आमंत्रित नहीं किया, जिससे रामलला ने उन्हें निराश किया। उन्होंने यह भी कहा कि इसी कारण भाजपा अयोध्या, चित्रकूट और रामेश्वरम में हार गई है। उनका यह भी कहना था कि भाजपा को दो नेता नीतीश और नायडू अपनी बैसाखी के रूप में सहारा दे रहे हैं।

'मठ मंदिरों को शासन सत्ता की दबाव से मुक्त करना चाहिए'
उन्होंने कहा कि वर्तमान शासन सत्ता को चाहिए कि वह मठ मंदिरों को शासन सत्ता की दबाव से मुक्त करना चाहिए। जैसे चार दिशाएं हैं वैसे चार शंकराचार्य हैं इन सभी को इनको हस्तांतरित कर देना चाहिए। हिंदुओं के अस्तित्व की रक्षा देश की अखंडता सुरक्षा और कटिबद्धता नैतिकता का दायित्व देश की राजनेताओं का है। समाज में तमाम संतो द्वारा दिए जा रहे बयान पर कहा कि जिनके पास ज्ञान है जिनको परंपराओं का सजान है वहीं कुछ बोले तो इसको सही वक्तव्य माना जा सकता है। बोलने से पहले इसका ध्यान रखना चाहिए की काल स्थिति परिस्थितियों का सामंजस्य देखकर ही बोलना चाहिए। जिनको धर्म नीति शास्त्र का ज्ञान नहीं है उनकी बातों का कोई ध्यान नहीं देना चाहिए।

'युवाओं का रुझान आध्यात्मिकता की ओर कम'
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में युवाओं का रुझान आध्यात्मिकता की ओर कम हो रहा है। इस पर उन्होंने सुझाव दिया कि युवाओं को गुरुओं और ज्ञानी व्यक्तियों से संवाद करना चाहिए। उनके सानिध्य में रहकर ही वे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जो उनके जीवन को सफल बनाने में मदद करेगा। उन्होंने इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

'समाज में लोग अपनी धार्मिक परंपराओं से दूर हो रहे'
उन्होंने कहा कि वर्तमान में संत विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं और ऐसे में बसपाई, भाजपाई या कांग्रेसी जैसे शब्दों का उपयोग उनके लिए उचित नहीं है। संतों को समाज को सही और प्रमाणिक संदेश देने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए, क्योंकि ऐसा संदेश समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने बताया कि आज के समाज में लोग अपनी धार्मिक परंपराओं से दूर हो रहे हैं। इस स्थिति में संतों का कर्तव्य है कि वे लोगों को फिर से सनातन धर्म से जोड़ें और धर्म के महत्व के बारे में उन्हें जागरूक करें।

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