सारनाथ से कुशीनगर की अनूठी धम्म यात्रा : 5000 श्रद्धालु लेंगे हिस्सा, इस दिन से शुरू होगा आयोजन

UPT | सारनाथ

Nov 04, 2024 16:58

धम्म चारिका का आरंभ 16 नवंबर से होगा और इसका समापन 8 दिसंबर को होगा, जब कुशीनगर में एक विशाल धम्म सभा का आयोजन किया जाएगा...

Short Highlights
  • सारनाथ से कुशीनगर की  धम्म यात्रा
  •  6 जिलों से होकर गुजरेगी यात्रा
  •  5000 श्रद्धालु लेंगे हिस्सा
Varanasi News : वाराणसी के सारनाथ में भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली से धम्म चारिका (पदयात्रा) शुरू होने जा रही है, जो कुशीनगर में समाप्त होगी। इस पदयात्रा में लगभग 5000 उपासक-उपासिका शामिल होंगे, जो रास्ते में भगवान बुद्ध के शांति और सौहार्द के संदेश को फैलाने का कार्य करेंगे। धम्म चारिका का आरंभ 16 नवंबर से होगा और इसका समापन 8 दिसंबर को होगा, जब कुशीनगर में एक विशाल धम्म सभा का आयोजन किया जाएगा।

सारनाथ में भगवान बुद्ध ने दिया था पहला उपदेश
सारनाथ बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जो वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश दिया था, जिसे 'धर्म चक्र प्रवर्तन' कहा जाता है। सारनाथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, अन्य तीन हैं लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर। धम्म चारिका यहीं से शुरू होकर कुशीनगर तक जाएगी।



5 हजार उपासक लेंगे हिस्सा
धम्म लर्निंग सेंटर के प्रभारी भिक्षु चंदिमा थोरे ने बताया कि इस यात्रा में लगभग 5000 उपासक-उपासिका हिस्सा लेंगे। सारनाथ और कुशीनगर के बीच की यह यात्रा करीब 500 किलोमीटर लंबी होगी। चंदिमा थोरे के अनुसार, यह यात्रा सारनाथ मंदिर से प्रारंभ होकर कुशीनगर की ओर बढ़ेगी, जहाँ महापरिनिर्वाण स्थली स्थित है। इस पदयात्रा के दौरान, उपासक-उपासिका रास्ते में पड़ने वाले विभिन्न स्थानों पर विश्राम करते समय सभाएं भी आयोजित करेंगे। वे भगवान बुद्ध के संदेश को स्थानीय लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

इन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी यात्रा
यह यात्रा वाराणसी से गाजीपुर, बलिया, देवरिया, गोरखपुर, महराजगंज होते हुए कुशीनगर पहुंचेगी, जहां अंतिम धम्म सभा का आयोजन होगा। चंदिमा थोरे ने बताया कि भगवान बुद्ध ने विश्व शांति और ज्ञान की प्राप्ति के लिए 45 वर्षों तक चारिका की थी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों में ज्ञान और करुणा का जागरण करना है। चारिका के माध्यम से भगवान बुद्ध का शांति और सौहार्द का संदेश फैलाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इसके लाभान्वित हो सकें।

महराजगंज में यात्रा को लेकर हुई बैठक
वहीं यह यात्रा सारनाथ से शुरू होकर महराजगंज के देवदह होते हुए कुशीनगर पहुंचेगी। यात्रा की  तैयारी के तहत बौद्ध ने मुड़ली चौराहे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में देवदह रामग्राम बौद्ध विकास समिति के सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्य अतिथि श्रवण पटेल ने बताया कि इस पद यात्रा में लगभग 5000 उपासक और 150 बौद्ध भिक्षु भाग लेंगे, जो सारनाथ से कुशीनगर तक भगवान बुद्ध का संदेश फैलाएंगे। देवदह में 3 दिसंबर को पूजा-अर्चना और धम्म देशना पाठ का आयोजन किया जाएगा।

बौद्ध के संदेश को आम लोगों तक पहुंचाने का उद्देश्य
बैठक में रामचंद्र बौद्ध ने जानकारी दी कि धम्मचारिका की पदयात्रा 16 नवंबर से सारनाथ से शुरू होकर कुशीनगर तक जाएगी। इस यात्रा का कुल मार्ग 500 किलोमीटर होगा, जिसमें रस्ते में पड़ने वाले गांवों में बौद्ध के संदेश को आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा। धम्मचारिका 8 दिसंबर को कुशीनगर में समाप्त होगी, जहाँ एक विशाल धम्म सभा का आयोजन किया जाएगा।

शांति और सौहार्द का संदेश फैलाया जाएगा
समिति के अध्यक्ष जितेंद्र राव ने बताया कि बौद्ध भिक्षु चंदिमा थोरो के नेतृत्व में यात्रा के दौरान भव्य स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं। 2 दिसंबर को हरमंदिर खुर्द में पूजा, 3 दिसंबर को देवदह में पूजा और 4 दिसंबर को रामग्राम में पूजा की जाएगी। इसके बाद, 4 दिसंबर की रात को महराजगंज मुख्यालय पर विश्राम किया जाएगा और 5 दिसंबर को कुशीनगर के लिए प्रस्थान होगा। इस दौरान जगह-जगह सभाओं का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें भगवान बुद्ध का शांति और सौहार्द का संदेश फैलाया जाएगा।

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