बिना मास्क पहने निकलना खतरनाक : अस्पताल में दोगुना हुए सांस के मरीज, यलो जोन में शामिल वाराणसी की हवा, दिवाली के धुएं ने बढ़ाई परेशानी

UPT | यलो जोन में शामिल वाराणसी की हवा

Nov 04, 2024 14:40

दिवाली के बाद पटाखों से उठे धुएं ने हवा की गुणवत्ता खराब कर दी है, जिसके कारण श्वांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। दमा और अस्थमा के अटैक के मामले भी बढ़ गए हैं।

Short Highlights
  • श्वांस मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले 2-3 गुना बढ़ी
  • रविवार को एक्यूआई 132 अंक पर पहुंचा
  • घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना जरूरी

 

Varanasi News : बीएचयू के साथ जिला और मंडलीय अस्पताल में सांस और अस्थमा के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।  दीपावली पर पटाखों के जलने के बाद उठे धुएं और ज्यादा मुसीबत बढ़ा दी है। बीएचयू, मंडलीय और जिला अस्पतालों की इमरजेंसी में श्वांस मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले 2-3 गुना बढ़ गई है।

सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा
दिवाली के बाद पटाखों से उठे धुएं ने हवा की गुणवत्ता खराब कर दी है, जिसके कारण सांस रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। बीएचयू, मंडलीय और जिला अस्पतालों की इमरजेंसी में सांस के मरीजों की संख्या पहले के मुकाबले 2-3 गुना बढ़ गई है। दमा और अस्थमा के अटैक के मामले भी बढ़ गए हैं। युवाओं में दमा की समस्या देखी जा रही है, जबकि बुजुर्ग क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के शिकार हो रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि सीओपीडी के मामले बढ़ने का कारण यह है कि पहले से ही सांस रोग से पीड़ित लोगों के लिए यह प्रदूषण आग में घी का काम कर रहा है।


यलो जोन में शामिल वाराणसी की हवा
दिवाली के बाद दो दिन से वाराणसी की हवा यलो जोन में बनी हुई है। साथ ही दिवाली के बाद की जहरीली हवा फेफड़े, अस्थमा और दिल की बीमारी बढ़ा रही है। वहीं रविवार को एक्यूआई यानी कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 132 अंक पर पहुंच गया है। 173 अंक एक्यूआई के साथ शहर में सबसे खराब हवा मलदहिया की रही। 

100 से ज्यादा पहुंचा एक्यूआई का स्तर
एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का स्तर 100 से अधिक हो गया है, जो सांस से जुड़े रोगों, फेफड़ों, अस्थमा और दिल की बीमारियों के लिए खतरनाक है। धुएं के कारण शहर में पीएम 2.5 का स्तर 328 अंक तक पहुंच गया है, जबकि पीएम 10 का स्तर 164 अंक पर है। इसके अलावा, कार्बन मोनो आक्साइड का स्तर भी अधिकतम 118 अंक पर पहुंच गया है। यह आंकड़े शहर की हवा की गुणवत्ता के खराब होने की ओर इशारा करते हैं।

सड़कों पर स्प्रिंक्लर से पानी का छिड़काव जरूरी
बीएचयू के पूर्व टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष प्रो. जी एन श्रीवास्तव के अनुसार, इस समय सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस की समस्याओं से ग्रसित मरीज बढ़ रहे हैं। मौसम के बदलने और सूरज की रोशनी कम होने से प्रदूषण बढ़ रहा है। इससे हवा में टॉक्सिन्स आ रहे हैं और आंखों में जलन हो रही है। इससे बचाव के लिए सरकार को सड़कों पर पानी छिड़काव करना चाहिए। लोग मास्क पहनकर अस्पताल जाने से बच सकते हैं, क्योंकि मास्क हवा में प्रदूषण की मात्रा को 50 प्रतिशत तक कम कर देता है।

Also Read