ताज नगरी में इलेक्ट्रिक बस सेवा ठप : तीन महीने से वेतन न मिलने पर चालकों की हड़ताल, यात्रियों को हुई परेशानी

UPT | इलेक्ट्रिक बसों के चालक और परिचालकों ने किया हड़ताल

Sep 13, 2024 16:46

इलेक्ट्रिक बसों के चालक और परिचालक पिछले तीन महीनों से वेतन के बिना काम कर रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर मंडलायुक्त तक शिकायत की, लेकिन वेतन की कोई राहत नहीं मिली...

Short Highlights
  • आगरा में इलेक्ट्रिक बसों के चालकों की हड़ताल
  • तीन महीने से वेतन न मिलने पर किया प्रदर्शन
  • चालकों ने बताई अपनी समस्याएं
Agra News : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ताज नगरी में चल रही इलेक्ट्रिक बसों के चालक और परिचालक पिछले तीन महीनों से वेतन के बिना काम कर रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर मंडलायुक्त तक शिकायत की, लेकिन वेतन की कोई राहत नहीं मिली। जिसके चलते, चालकों और परिचालकों ने शुक्रवार को हड़ताल का आह्वान किया।

यात्रियों को हो रही परेशानी
हड़ताल के चलते शहर में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन पूरी तरह से ठप हो गया, जिससे यात्रियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। फाउंड्री नगर डिपो में कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया और हंगामा किया। वहीं इस स्थिति की जानकारी मिलने पर पुलिस और परिवहन निगम के अधिकारी मौके पर पहुंचे और कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया।



चालकों ने बताई समस्याएं
इस दौरान, प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने निजी कंपनी के खिलाफ "हाय हाय" और "मांगें पूरी करो" के नारे लगाए। हड़ताल कर रहे चालक कृष्ण मुरारी और सर्वेश कुमार ने बताया कि तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण उन्हें भोजन की भी समस्या हो रही है और उनके घर का राशन खत्म हो चुका है। इसके अलावा, बच्चों की स्कूल फीस भी नहीं भरी जा सकी है और हाल ही में हुई भारी बारिश से बसों की मेंटेनेंस के लिए भी अतिरिक्त पैसे वसूलने का आरोप लगाया गया है।

चालकों से बसों की मरम्मत का खर्चा वसूलने का आरोप
चालकों का कहना है कि हाल ही में 48 घंटे की तेज बारिश के कारण बसों में खराबी आ गई है और अब इन बसों की मरम्मत का खर्च चालकों से वसूला जाएगा। इस स्थिति ने चालकों और परिचालकों के बीच असंतोष को और बढ़ा दिया है। इसके अलावा, परिचालकों ने आरोप लगाया है कि पिछले दो वर्षों से उनका वेतन नहीं बढ़ाया गया है।

शिकयत पर नौकरी से निकालने की मिलती है धमकी
वहीं इस मुद्दे की शिकायत उन्होंने कई बार कंपनी के उच्च अधिकारियों, एसडीएम और मंडलायुक्त तक की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। वे यह भी बताते हैं कि यदि कोई इस मुद्दे पर आवाज उठाता है, तो उसे नौकरी से निकाल दिए जाने की धमकी दी जाती है।
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