यादव वोट बैंक की लड़ाई : एक ही बिरादरी के बीच मुकाबला, यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल

UPT | करहल में यादव वोट बैंक की लड़ाई

Oct 24, 2024 19:56

करहल विधानसभा उपचुनाव में यादव वोट बैंक पर कब्जे की जोरदार लड़ाई छिड़ गई है। इस बार का चुनाव यहां और भी दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि एक ही बिरादरी, यादव समुदाय के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है...

Mainpuri News : करहल विधानसभा उपचुनाव में यादव वोट बैंक पर कब्जे की जोरदार लड़ाई छिड़ गई है। इस बार का चुनाव यहां और भी दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि एक ही बिरादरी, यादव समुदाय के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है। करहल से सपा ने तेज प्रताप यादव टिकट दिया है तो वहीं भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के दामाद अनुजेश यादव को मैदान में उतारा है। इस बार सपा और भाजपा के उम्मीदवार दोनों यादव हैं। इससे यह चुनाव यादव वोट बैंक की शक्ति को दिखाने का मैदान बन गया है। लेकिन यह मुकाबला सिर्फ वोट बैंक का नहीं, बल्कि यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की प्रतिष्ठा का भी सवाल बन चुका है।

यादव बनाम यादव वोट बैंक की लड़ाई
सपा और भाजपा दोनों पार्टियां यादव समुदाय के मतदाताओं को अपनी ओर करने के लिए कमर कस चुकी हैं। जहां सपा ने यादव परिवार की एक मजबूत पहचान के रूप में अपनी पकड़ को बरकरार रखा है, वहीं भाजपा भी इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए यादव उम्मीदवारों को आगे किया है। यह सीधा मुकाबला यादव वोट बैंक की प्रभुत्व को लेकर हो रहा है, जिससे सियासी पारा और भी बढ़ गया है।

यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
इस उपचुनाव का नतीजा सीधे तौर पर मुलायम सिंह यादव के परिवार की सियासी प्रतिष्ठा को प्रभावित करेगा। यादव परिवार ने लंबे समय तक यूपी की राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखी है, और इस चुनाव में उनकी ताकत और प्रभाव की परीक्षा होगी। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा इस चुनाव को जीतकर अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करेगी। 



यह हैं जातिगत समीकरण
करहल उपचुनाव में यादव वोटों का निर्णायक प्रभाव होगा। यादव समुदाय यूपी की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, और इस बार का चुनाव यादव बनाम यादव की सीधी लड़ाई बन गया है। इस समुदाय के वोट किसी भी दल की जीत और हार में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

भाजपा ने यादव वोटों में लगाई सेंध
भाजपा ने इस बार यादव बिरादरी के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर सपा के यादव वोट बैंक को चुनौती दी है। भाजपा की कोशिश है कि यादव वोटों में बंटवारा हो और उसका फायदा सीधे तौर पर उसे मिले। यदि भाजपा यादव वोट बैंक को बांटने में कामयाब होती है, तो यह सपा के लिए एक बड़ा झटका होगा जो लंबे समय से इस समुदाय पर अपनी पकड़ बनाए हुए है।

सपा की साख पर सवाल
सपा के लिए यह चुनाव सिर्फ जीत का नहीं, बल्कि उसकी राजनीतिक विरासत और यादव वोट बैंक पर पकड़ का सवाल है। यदि सपा इस चुनाव में कमजोर पड़ती है, तो यह यूपी की राजनीति में उनके वर्चस्व पर बड़ा धक्का साबित हो सकता है। यादव वोट बैंक पर सपा की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन इस बार भाजपा की चुनौती ने सपा की जीत को और मुश्किल बना दिया है। यह यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार, यादव परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल है।

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