मथुरा पहुंचे बाबा रामदेव : सत्यार्थ प्रकाश व महर्षि दयानंद को बताया अपना गुरु

UPT | बाबा रामदेव

Jul 23, 2024 19:55

मथुरा पहुंचे बाबा रामदेव ने कहा कि मैं जो कुछ भी हूं, सत्यार्थ प्रकाश व महर्षि दयानंद की वजह से हूं। यहां वह आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज की जन्म शताब्दी के कार्यकम में शामिल…

Short Highlights
  • गुरु विरजानंद आर्य गुरुकुल वेद मंदिर में हुआ कार्यक्रम
  • उन्होंने आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज के जीवन और योगदान को किया याद
Mathura News : तीर्थनगरी मथुरा में मंगलवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध योग गुरु स्वामी रामदेव ने शिरकत की। यह कार्यक्रम मसानी चौराहा स्थित गुरु विरजानंद आर्य गुरुकुल वेद मंदिर में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य आर्य जगत के प्रख्यात लेखक आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज की जन्म शताब्दी को मनाना था। स्वामी रामदेव की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया, जहां उन्होंने आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज के जीवन और योगदान को याद किया। यह कार्यक्रम न केवल एक महान विचारक को श्रद्धांजलि देने का अवसर था, बल्कि आर्य समाज के सिद्धांतों और शिक्षाओं को भी रेखांकित करने का एक मंच बन गया। 
 
इनको दिया सफलता का श्रेय

स्वामी रामदेव ने मथुरा के वेद मंदिर में अपने पुराने संबंधों को याद करते हुए एक भावुक और प्रेरणादायक संदेश दिया। उन्होंने बताया कि लगभग 33 वर्ष पहले वे इसी मंदिर में महाभाष्य का अध्ययन करने आए थे। अपनी वर्तमान सफलता का श्रेय उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश और महर्षि दयानंद के विचारों को दिया, जिन्होंने उन्हें विश्व स्तर पर प्रभावशाली व्यक्तित्व बनने में मदद की। स्वामी रामदेव ने आचार्य प्रेम भिक्षु के तपस्वी और त्यागमय जीवन की सराहना करते हुए आज की युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे उनकी विचारधारा से प्रेरणा लें। यह कथन न केवल आचार्य प्रेम भिक्षु को श्रद्धांजलि थी, बल्कि युवाओं को सकारात्मक जीवन मूल्यों की ओर प्रेरित करने का एक प्रयास भी था। 

आचरण की पवित्रता ही सबसे बड़ा धर्म 
वे कहते हैं कि आदर्श आचरण धर्म का मुख्य अंग है। महर्षि दयानंद के अनुयायी होने का मतलब है कि कर्मों में निष्कलंक और पवित्र आचरण होना आवश्यक है। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि केवल नाम जप करने से धर्म का पालन नहीं होता। उनकी संदेश यह है कि सच्चे धार्मिकता में सभी के प्रति दया, करुणा, उदारता, प्रेम और शरणागति की भावना होनी चाहिए। 

हवन को बताया सबसे बड़ी पूजा
उन्होंने कहा कि हवन सबसे बड़ी पूजा है और सभी को इसे नियमित रूप से करना चाहिए, चाहे वह दैनिक हो या साप्ताहिक। वेद मंदिर के अधिष्ठाता आचार्य स्वदेश ने स्वामी रामदेव का स्वागत किया। उन्होंने इसके बाद आचार्य प्रेमभिक्षु के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने स्वामी रामदेव को 'सत्यार्थ प्रकाश' पुस्तक भेंट की और आर्यवीर दल के कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया।

ये लोग रहे उपस्थित
मथुरा में आयोजित आचार्य प्रेमभिक्षु महाराज की जन्म शताब्दी समारोह में स्वामी रामदेव के अतिरिक्त कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस विशिष्ट कार्यक्रम में आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्तित्व जैसे आचार्य महिपाल, स्वामी इंद्रेश्वरानंद, आचार्य नरेंद्रानंद और आचार्य सत्यप्रिय आर्य उपस्थित थे। राजनीतिक क्षेत्र से विधायक राजेश चौधरी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रवीण अग्रवाल, वीरेंद्र अग्रवाल, कुंवर नरेंद्र सिंह, संतोष आर्य, डॉ. विवेक प्रिय आर्य और सोनू मालिक जैसे गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद रहे।

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