एनजीटी की बड़ी कार्रवाई : प्रदूषण के चलते आगरा और मथुरा नगर निगम पर लगाया जुर्माना, अधिकारियों में मचा हड़कंप

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Apr 26, 2024 21:52

आगरा और मथुरा दोनों ऐसे शहर हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व है। दोनों शहरों से कल-कल बहती कालिंदी के साथ-साथ जहां मथुरा में प्रभु श्रीकृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन है...

Agra News  (Pradeep Kumar Rawat) : आगरा और मथुरा दोनों ऐसे शहर हैं, जिनका अपना अलग ही महत्व है। दोनों शहरों से कल-कल बहती कालिंदी के साथ-साथ जहां मथुरा में प्रभु श्रीकृष्ण की जन्मभूमि वृंदावन है, तो वहीं आगरा में यमुना से सटा संगमरमरी हुस्न से सजा ताजमहल है। इसके अलावा बटेश्वर में 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला है। यमुना एवं ताजमहल को लेकर सुप्रीम कोर्ट कई निर्णय दे चुका है। प्रशासन एवं सरकार की तरफ से हलफनामा भी दाखिल किया हुआ है कि यमुना में सीधे गिरते नालों को गिरने से रोकने के लिए नालों को टेप किया गया है, बावजूद इसके आज भी खुलेआम कालिंदी में नाले गिर रहे हैं।

आगरा और मथुरा नगर निगम पर लगाया एनजीटी ने जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार, प्रशासन और नगर निगम को कई बार यमुना में गिरते नालों एवं प्रदूषण को लेकर हिदायत दी गई है। बावजूद इसके नगर निगम ने यमुना प्रदूषण को लेकर कोई ठोस इंतजाम नहीं किए हैं। 2 दिन पूर्व ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आगरा नगर निगम पर यमुना में शोधित किए बिना नालों का पानी बहाए जाने पर कड़ा फैसला सुनाया है। इसमें नगर निगम की लापरवाही मानते हुए एनजीटी ने नगर निगम आगरा पर 288 दिनों तक की अवधि के लिए 58.39 और मथुरा-वृंदावन नगर निगम पर 7.20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी की इस कार्रवाई से आगरा नगर निगम और नगर निगम मथुरा में हड़कंप मच गया है। 

3 माह में धनराशि जमा करने के आदेश
दोनों निगमों को तीन माह में यह धनराशि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के पास जमा कराने के आदेश दिए गए हैं। इस राशि का उपयोग दोनों शहरों में पर्यावरण सुधार के लिए योजना के आधार पर किया जाएगा। आगरा के दिल्ली गेट क्षेत्र में रहने वाले पीडियाट्रिक सर्जन डॉ संजय कुलश्रेष्ठ ने वर्ष 2022 में इस संबंध में याचिका दायर की थी। वहीं मथुरा की राधा वैली के राजेश पारीक ने मथुरा में यमुना के प्रदूषित होने पर याचिका दायर की थी। दोनों याचिकाओं को जोड़ते हुए एनजीटी ने सुनवाई की। सात दिसंबर को हुई सुनवाई का आदेश बुधवार को पढ़ा गया और एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड हुआ। एमसीडी के आदेश के बाद नगर निगम के अधिकारियों के होश फ़ाख्ता हो गए हैं। 

उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जुर्माने का करेगा आंकलन
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य डा ए. सेंथिल वेल ने यमुना की दुर्दशा के लिए नगर निगम को जिम्मेदार माना है। नगर निगम यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का संचालन कर रही एजेंसी से पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि आनुपातिक रूप से निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए वसूल सकेगा। आदेश के बाद यमुना को प्रदूषित करने की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड जुर्माने का आंकलन करेगा। यूपीपीसीबी को जल अधिनियम, 1974 और गंगा नदी आदेश, 2016 का उल्लंघन करने के मामले में संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराते हुए तीन माह में कार्रवाई शुरू करनी होगी।

एनजीटी रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष करनी होगी रिपोर्ट प्रस्तुत
पर्यावरण सुधार के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), यूपीपीसीबी और डीएम की संयुक्त समिति इसकी योजना तैयार करेगी। यूपीपीसीबी और संयुक्त समिति को एनजीटी के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। आगरा के समाजसेवी और सुप्रीम कोर्ट अनुश्रवण समिति के सदस्य स्वर्गीय डीके जोशी ने यमुना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई मामले उठाए थे। उनके गुजरने के बाद यमुना प्रदूषण से जुड़े हुए मामले ठंडे बस्ते में चले गए। लेकिन आगरा और मथुरा के दो साधारण लोगों का ज़मीर जाग गया और वह एनजीटी पहुंच गए। एक लंबी लड़ाई के बाद एनजीटी ने निर्णय सुना दिया है।

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