Agra News : पुरातत्व विभाग को आगरा फोर्ट में उत्खनन के दौरान मिली चूना पीसने की चक्की...

UPT | आगरा किला

May 09, 2024 17:19

आगरा एक ऐतिहासिक शहर है, जहां ताजमहल सहित आधा दर्जन से अधिक पुरातत्व स्मारकें हैं। ताज महल सहित कई स्मारकें विवादों और चर्चाओं में रहती हैं। पुरातत्व विभाग इन स्मारकों के संरक्षण के लिए हर साल...

Agra News : आगरा एक ऐतिहासिक शहर है, जहां ताजमहल सहित आधा दर्जन से अधिक पुरातत्व स्मारकें हैं। ताज महल सहित कई स्मारकें विवादों और चर्चाओं में रहती हैं। पुरातत्व विभाग इन स्मारकों के संरक्षण के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करता है। इसके साथ ही पुरातत्व विभाग इतिहास को दुनियां तक पहुंचाने के लिए उत्खनन भी करता रहता है। एएसआईं द्वारा आगरा किला में उत्खनन किया जा रहा है। इसी उत्खनन के दौरान पुरातत्व विभाग को बड़ी सफलता हासिल हुई है। पुरातत्व संरक्षण विभाग आगरा सर्किल को उत्खनन के दौरान आगरा फोर्ट में चूना पीसने की प्राचीन चक्की वाटर गेट के पास निकली है। उसके साथ ही मसाला रखने को खानेदार हौद भी बनी हुई है। विभाग का मानना है कि चूना पीसने की चक्की ब्रिटिश काल में बनाई गई होगी। उस समय आगरा किले में बड़े स्तर पर संरक्षण का काम किया गया था।

खाई के फर्श को समतल किया गया
भारतीय पुरातत्व विभाग ने आगरा किले की आंतरिक खाई में बंगाली बुर्ज से लेकर हाथी गेट तक सफाई कराई है। खाई के फर्श को समतल किया गया है। वाटर गेट के नजदीक चूना पीसने की चक्की निकली है। लाखौरी ईंटों की बनी हुई चक्की काफी अच्छी स्थिति में है। इसके पास दो हौद भी मिली है, जिनमें से एक हौद चार खानों में बंटी हुई है। मुगल काल में स्मारकों के निर्माण में चूने के मसाले का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें चूने के साथ ही खांड़, उड़द की दाल, बेलगिरी का जूस और बबूल का गोंद इस्तेमाल किया जाता था। विभाग इसे मूल स्वरूप में संरक्षित करेगा। इससे पूर्व वाटर गेट के पास पुरातत्व विभाग को सफाई के दरम्यान नाली भी मिल चुकी है।

बहुत अच्छी स्थिति में है चक्की 
पुरातत्वविद डा. राजकुमार पटेल ने उत्तर प्रदेश टाइम्स को बताया कि चूना पीसने की चक्की ब्रिटिश काल की प्रतीत हो रही है। ब्रिटिश काल में बड़े स्तर पर संरक्षण का काम किया गया था। मुसम्मन बुर्ज व खास महल की छत की मरम्मत की गई थी। किले की बेस्टियन के पास दीवार पर तोप चढ़ाने के लिए रैंप का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही खाई की दीवार की भी मरम्मत की गई थी। डा. राजकुमार पटेल बताते हैं कि इमारत को संरक्षित करने के लिए यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। अब रेडीमेड चूना आता है। पहले कंकड़ वाला चूना आता था, जिसे पानी में एक सप्ताह तक रखकर गलाया जाता था। गलाने के बाद चक्की में उसे बारीक पीसा जाता था। इसमें सुर्खी या मोटी बालू मिलाई जाती थी। तैयार मिश्रण को भी एक-दो दिन रखकर प्रयोग में लाया जाता था। आगरा किले में चूना पीसने की चक्की के पास चार खानों वाली हौद इसी उद्देश्य से बनाई गई होगी। उनका कहना है कि यह बड़ी सफलता है। यह चक्की बहुत ही अच्छी स्थिति में है। हौद भी बेहतर हाल में है। उन्होंने कहा कि स्मारकों में नियमित रूप से संरक्षण का कार्य चलता रहता है।

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