वक्फ बोर्ड ने शनिदेव मंदिर से छोड़ा दावा : ढाई साल पुराने विवाद का पटाक्षेप, खुदाई में हनुमान जी और शनिदेव की प्रतिमाएं मिलीं  

UPT | सांकेतिक फोटो।

Dec 27, 2024 12:32

जलेसर कस्बे के शनिदेव मंदिर पर वक्फ बोर्ड ने दावा छोड़ दिया है। ढाई साल पहले चढ़ावे में गबन के आरोप से विवाद शुरू हुआ था। धार्मिक महत्व रखने वाले इस परिसर में श्रद्धालु बुधवार और शनिवार को पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

Etah News : जिले के जलेसर कस्बे में स्थित शनिदेव मंदिर (जो पहले दरगाह के रूप में जाना जाता था) को लेकर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा वापस ले लिया है। यह संपत्ति ढाई साल पहले विवादों में आई थी, जब दरगाह कमेटी के अध्यक्ष समेत नौ लोगों पर चढ़ावे में गबन का आरोप लगा था। इसके बाद कमेटी को भंग कर प्रशासक की नियुक्ति की गई थी।



जलेसर की धार्मिक मान्यता
जलेसर कस्बे का छोटा मियां और बड़ा मियां दरगाह के नाम से प्रसिद्ध यह परिसर प्रदेश और अन्य राज्यों में भी धार्मिक मान्यता रखता है। यहां बुधवार और शनिवार को बड़ी संख्या में लोग जात (पूजा-अर्चना) करने आते हैं। दशकों से यहां दरगाह कमेटी का संचालन हो रहा था, जो परिसर के चढ़ावे की देखरेख करती थी।

गबन के आरोप और कमेटी भंग 
साल 2022 में चढ़ावे में गबन के आरोप सामने आने के बाद दरगाह कमेटी को भंग कर दिया गया। यह आरोप लगाया गया कि कमेटी ने चढ़ावे के धन का दुरुपयोग किया। इसके बाद परिसर को लेकर सवाल उठने लगे कि क्या यह स्थान दरगाह से मंदिर में तब्दील किया गया है।

खुदाई में मिली प्रतिमाएं 
दरगाह को लेकर बढ़ते विवाद के बीच परिसर की खुदाई कराई गई। खुदाई में हनुमान जी और शनिदेव की प्राचीन प्रतिमाएं मिलीं। इन प्रतिमाओं को मिट्टी में दबा हुआ पाया गया। प्रतिमाएं मिलने के बाद परिसर में पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई और इसे शनिदेव मंदिर के रूप में मान्यता दी गई।

वक्फ बोर्ड ने क्यों छोड़ा दावा?
हाल ही में वक्फ संपत्तियों का सर्वे कराया गया था। इस सर्वे के बाद वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्तियों की सूची जारी की। इस सूची में जलेसर की इस दरगाह का नाम नहीं था। इससे स्पष्ट हुआ कि वक्फ बोर्ड ने इस संपत्ति से अपना दावा वापस ले लिया है।

विवाद की वर्तमान स्थिति
इस विवाद के बाद से शनिदेव मंदिर और परिसर को लेकर प्रशासनिक नियंत्रण बना हुआ है। वक्फ बोर्ड द्वारा दावा छोड़ने के बावजूद स्थानीय लोग इसे धार्मिक मान्यता के केंद्र के रूप में मानते हैं। प्रशासन ने यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।यह घटना धार्मिक और सामाजिक विवादों का उदाहरण है, जो संपत्तियों और उनकी ऐतिहासिक मान्यता को लेकर उत्पन्न हुए। वक्फ बोर्ड का दावा वापस लेना विवाद का अंत माना जा रहा है, लेकिन इस स्थल की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को लेकर चर्चा अभी भी जारी है। 

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