अयोध्या विवाद चैप्टर में बदलाव : एनसीईआरटी ने हटाया 'बाबरी मस्जिद' का नाम, जानिए नई किताब में क्या है कंटेंट

UPT | एनसीईआरटी ने 'बाबरी मस्जिद' का नाम बदला

Jun 16, 2024 10:55

शिक्षा मंत्रालय ने 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक में अयोध्या विवाद से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। इस नई किताब में बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है...

Ayodhya News : भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तक में अयोध्या विवाद से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। इस नई किताब में बाबरी मस्जिद का नाम हटा दिया गया है और इसे अब 'तीन गुंबदों वाला ढांचा' कहा जा रहा है। साथ ही, अयोध्या से संबंधित अध्याय को भी सिमटाकर चार पेज से केवल दो पेज कर दिया गया है।

नई किताब में इनका जिक्र
नई पुस्तक में बीजेपी द्वारा 1990 के दशक में किए गए सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा, कारसेवकों की भूमिका, बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुई हिंसा, राष्ट्रपति शासन लागू करने और अयोध्या में हुई संप्रदायिक हिंसा पर बीजेपी द्वारा बाद में खेद व्यक्त किए जाने का उल्लेख किया गया है।


बाबरी मस्जिद का नाम बदला
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुरानी पाठ्यपुस्तक में बताया गया था कि 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण करवाया था। लेकिन नई पुस्तक में इसके बजाय यह बताया गया है कि वर्ष 1528 में श्रीराम के जन्मस्थान पर 'तीन गुंबदों वाला ढांचा' बनाया गया था, जिसमें कई हिंदू चिन्ह और आंतरिक एवं बाहरी दीवारों पर मूर्तियां बनी हुई थीं। पुरानी किताब में यह भी बताया गया था कि फैजाबाद अदालत द्वारा 1986 में मस्जिद के द्वार खोलने के आदेश के बाद कैसे मोबिलाइजेशन किया गया। इसके बाद 1992 में राम मंदिर निर्माण के लिए रथ यात्रा और कार सेवा के कारण संप्रदायिक तनाव बढ़ा और 1993 में संप्रदायिक दंगे भी हुए।

हिंदू समाज के लोगों की आस्था को पहुंची ठेस
नई किताब में बताया गया है कि तीन गुबंद वाले ढांचे को श्रीराम के जन्मस्थान यानी जहां राममंदिर बनाया गया है वहां बनाया था। 1986 में फैजाबाद कोर्ट ने तीन गुबंद वाले ढ़ांचे को खोलने की अनुमति दी थी और लोगों को पूजा करने की इजाजत मिल गई थी। राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया गया था, लेकिन निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। इससे हिंदू समाज के लोगों के लगा कि उनकी आस्था को ठेस पहुंचाई जा रही है। वहीं मुस्लिम समाज का ढांचे पर अधिकार कायम है। वर्ष 1992 में ढांचा गिराने के बाद बहुत सारे आलोचकों ने कहा कि यह लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।

राजनीति में नए बदलाव को बनाया आधार
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में अयोध्या विवाद से संबंधित अध्याय में कुछ महत्वपूर्ण अपडेट किए हैं। नई किताब में सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2019 के उस ऐतिहासिक फैसले को शामिल किया गया है, जिसमें विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए आवंटित किया गया था। पुरानी पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह सरकार को हटाए जाने संबंधी कुछ अखबारी कटिंगों की तस्वीरें भी शामिल थीं, लेकिन नई किताब में उन्हें हटा दिया गया है। एनसीईआरटी ने बताया है कि यह 2014 के बाद से चौथी बार है जब उसकी पाठ्यपुस्तकों को अपडेट किया गया है। एनसीईआरटी के अनुसार, राजनीति में होने वाले नए बदलावों के आधार पर अध्याय में परिवर्तन किए जाते हैं और नई जानकारियां शामिल की जाती हैं।

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