बलिया न्यूज : रुद्र शंकर मिश्रा के कथक नृत्य की अनूठी शैली ने जीता सबका मन

UPT | कार्यक्रम में भाग लेते कलाकार रुद्र शंकर मिश्रा

May 07, 2024 17:09

बलिया के अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में आयोजित स्पिक मैके कार्यक्रम में वाराणसी से आए कलाकार रुद्र शंकर मिश्रा द्वारा दिखाए गए...

Short Highlights
  • सनबीम स्कूल में आयोजित हुआ स्पिक मैके कार्यक्रम 
  • मंच पर रुद्र शंकर मिश्रा बच्चों को नृत्य की कुछ शैलियां भी सिखाईं
Ballia News (Akhilanand Tiwari) : बलिया के अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में आयोजित स्पिक मैके कार्यक्रम में वाराणसी से आए कलाकार रुद्र शंकर मिश्रा द्वारा दिखाए गए कथक नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। इस दौरान विद्यालय प्रबंधन द्वारा उनका स्वागत किया गया। तिरमिरी धूप के मध्य हवा का आगमन करते हुए शास्त्रीय नृत्य कथक ने मानों बसंत ऋतु के चरमोत्कर्ष का दिग्दर्शन करा दिया हो। सुकून तलाशते बच्चों को सुखद यथार्थ की अनुभूति का साक्षात्कार कराया।

भारतीय शास्त्रीय संगीत त्याग, तपस्या व साधना है
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत त्याग, तपस्या व साधना है। जीवन में उल्लास भरने का सशक्त माध्यम है। अगरसंडा स्थित सनबीम स्कूल में दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात कार्यक्रम की शुरुआत की गई। वाराणसी से पधारे रुद्र शंकर मिश्रा के असाधारण नृत्य को देखकर करतल ध्वनियों से समग्र नमन परिसर गूंजता रहा। 

कला को देख सभी हुए हतप्रभ 
इस मौके पर उदय शंकर मिश्रा और राघवेंद्र द्वारा हरमोनियम और तबले पर संगत के समायोजन में समय, गति, लय, धुन व भाव-भंगिमाओं में अद्भुत संतुलन दिखा। स्विट्जरलैंड, जापान, अमेरिका, श्रीलंका आदि देशों में अपने कला का जलवा दिखा चुके मिश्रा ने जब ओम हरि ओम जय शशि शेखर पर नृत्य प्रस्तुत किया तो परिसर में उपस्थित बच्चों से लेकर अभिभावक तक पर उनकी कला का जादू चला। उन्होंने अपने पैरों के घुंघरू से घोड़े की टॉप की आवाज, बरसात की बूंदों की व ट्रेन की आवाज हूबहू निकाल कर सबको हतप्रभ कर दिया।

नृत्य साधना से तन व मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है
इस दौरान उन्होने बच्चों द्वारा पूछे गए सवालों का समुचित जवाब दिया। कहा कि नृत्य की 300 से अधिक विधाएं हैं। उसमें से कुछ अत्यंत जटिल हैं। उत्तर प्रदेश का यह प्रसिद्ध कथक नृत्य की अपनी एक अलग पहचान है। नृत्य साधना से आप अपने तन और मन दोनों को सदैव स्वस्थ रख सकते हैं। उन्होने मंच पर बच्चों को नृत्य की कुछ शैलियां भी सिखाईं। विद्यालय प्रबंधन द्वारा उन्हें व उनके साथियों को अंग वस्त्र व माला पहनाकर स्वागत किया।

शास्त्रीय नृत्य सुर व भाव प्रधान है, शब्द प्रधान नहीं-डा.कुंवर अरूण सिंह
विद्यालय के निदेशक डॉ. कुंवर अरुण सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रीय नृत्य सुर व भाव प्रधान है। शब्द प्रधान नहीं। यह लोगों को जहां आत्मिक शांति देता है, वहीं कला का एक आदर्श आचरण प्रस्तुत करता है। पाश्चात्य सभ्यता के कानफोड़ू संगीत के सापेक्ष स्वदेशी शास्त्रीय संगीत मात्र मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि यह हमें स्वस्थ रखते हुए शांति प्रदान करता है। ऐसे ही अनूठे प्रदर्शन से सनबीम बच्चों को उत्साहित व जागरूक करता आया है।

संगीत जीवन में विविध रंगों को भरता है-डा. अर्पिता सिंह
प्रधानाचार्या डॉ. अर्पिता सिंह ने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ संगीत का भी अहम योगदान है। यह जीवन की गति में विविध रंगों को भरता है। मौके पर एडमिन संतोष कुमार चतुर्वेदी, हेडमिस्ट्रेस नीतू पांडेय, सभी समन्वयकगण व शिक्षकगण मौजूद रहे। संचालन गुनगुन व अदिति ने किया। ग्लोबल कोऑर्डिनेटर सहर बानो ने सबका आभार व्यक्त किया।

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