अब्बास अंसारी को मिली जमानत : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, लेकिन जेल से बाहर आने पर संशय

फ़ाइल फोटो | अब्बास अंसारी को मिली जमानत

Oct 18, 2024 17:52

माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। अदालत ने अब्बास की जमानत मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में दी है।

Short Highlights
  • अब्बास अंसारी को मिली जमानत
  • मनी लॉन्ड्रिग मामले में कोर्ट ने दी राहत
  • अब्बास पर हैं कई गंभीर आरोप
Mau News : माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। अदालत ने अब्बास की जमानत मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में दी है। अब्बास अंसारी मऊ की सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक हैं। कोर्ट ने जमानत देने के साथ-साथ ये भी कहा कि अब्बास अंसारी को जांच में सहयोग करना चाहिए।

हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
अब्बास अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी जमानत की अर्जी लगाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने 9 मई को इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद अब्बास ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब देने को कहा था। अब्बास की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने सुनवाई की। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी अब्बास जेल से बाहर नहीं आ पाएगा, क्योंकि उस पर गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा मामला चल रहा है।



मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है केस
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अंसारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसने दो फर्मों मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों के लिए किया। PMLA की धारा 3 और 4 के तहत नवंबर 2022 में उसकी गिरफ्तारी हुई। ED का कहना है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन मुख्य रूप से जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिचार के माध्यम से सरकारी जमीन हड़पने में संलग्न थी। यह फर्म सरकारी ठेके हासिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन गई थी, जिसके चलते जब भी यह फर्म बोली लगाती, ठेके उसे ही मिलते।

अब्बास पर हैं कई गंभीर आरोप
इसके अलावा, यह फर्म सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेकर गोदामों का निर्माण करती और भारतीय खाद्य निगम तथा उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम को किराए पर देती, जिससे उसे करोड़ों रुपये का किराया प्राप्त होता था। अंसारी की फर्म ने नाबार्ड से भी 67 लाख रुपये की सब्सिडी हासिल की। प्राप्त किराया न केवल विकास कंस्ट्रक्शन के खाते में जाता था, बल्कि उसकी पारिवारिक फर्म आगाज में भी ट्रांसफर किया जाता था। इस प्रक्रिया के जरिए, अंसारी ने धन को लेयर करके नकद में निकाला और विकास कंस्ट्रक्शन के ऋण खाते में जमा किया, जिससे वह बाजार मूल्य से कम दरों पर अचल संपत्तियां खरीद सका।

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