30 साल पुराने फर्जीवाड़े का खुलासा : नायब तहसीलदार ने किया था 570 एकड़ जमीन का गबन, महिला समेत तीन पर केस दर्ज

UPT | Gorakhpur

Sep 10, 2024 16:13

सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार अर्जुन ने अपने सेवाकाल के दौरान चिलुआताल थानान्तर्गत ग्राम मीरपुर में 1993 का एक फर्जी आदेश तैयार किया और इस आदेश के माध्यम से काश्तकार की पैतृक भूमि पर...

Short Highlights
  • गोरखपुर में बड़ी धोखाधड़ी की घटना का खुलासा
  • सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार के खिलाफ पुलिस ने की कार्रवाई
  • 1993 में फर्जी दस्तावेज तैयार कर हड़पी थी जमीन
Gorakhpur News : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक बड़ी धोखाधड़ी की घटना सामने आई है, जिसमें चिलुआताल थाना क्षेत्र के एक सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार, अर्जुन, ने कूटरचित आदेश के जरिए एक काश्तकार की जमीन अपने परिवार के नाम करवा ली। वहीं जब पीड़ित काश्तकार की शिकायत पर प्रशासन और पुलिस ने संयुक्त जांच किया तो सेवानिवृत्त हो चुके नायब तहसीलदार के धोखाधड़ी की पोल खुल गई। 

काश्तकार की पैतृक जमीन को धोखे से हड़पने का आरोप
दरअसल, सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार अर्जुन ने अपने सेवाकाल के दौरान चिलुआताल थानान्तर्गत ग्राम मीरपुर में 1993 का एक फर्जी आदेश तैयार किया और इस आदेश के माध्यम से काश्तकार की पैतृक भूमि पर अपने परिवार का नाम दर्ज करवा लिया। वहीं जिलाधिकारी के आदेश पर चिलुआताल पुलिस ने नायब तहसीलदार अर्जुन और उनके परिवार के खिलाफ जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया है।



कूटनीति से तैयार किए दस्तावेज
जांच के दौरान पता चला कि अर्जुन ने कुटरचित दस्तावेज तैयार कर सरकारी भूमि पर अपने परिवार के सदस्यों का नाम दर्ज किया था। सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार ने सरकारी भूमि के दो अजारी नंबर 460 और 110 पर अपने परिवार के सदस्यों का नाम दर्ज करवा लिया। इनमें उसके पुत्र रम्भू , भतीजा ओम प्रकाश और पट्टीदारी की नाती की पत्नी साधना देवी शामिल हैं। 

अन्य मामले में भी की धोखाधड़ी
इस बीच, एक अन्य मुकदमा, जिसमें  नायब तहसीलदार अर्जुन द्वारा तैयार किए गए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया, ने भी मामले को जटिल बना दिया। दरअसल, यह मुकदमा सीओ चकवन्दी दीवान बाजार के यहां अवधेश बनाम हरे कृष्ण के नाम से चला था। जिसमें उक्त कुटरचित दस्तावेज लगा कर रंभू ओम प्रकाश साधना का नाम दर्ज करा लिया गया था। स्थानीय निवासी फूलदेव यादव ने जब इस धोखाधड़ी के बारे में पता लगाया, तो वह और उनके परिवार ने उच्चाधिकारियों के पास जाकर मामले की शिकायत की। इस पर डीएम और एसएसपी ने मामले की गहराई से जांच के आदेश दिए।

गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ मामला
एडीएम प्रशासन और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी द्वारा की गई जांच में यह स्पष्ट हो गया कि अर्जुन ने फर्जी दस्तावेजों का निर्माण किया और चकबंदी अधिकारी के हस्ताक्षर से आदेश जारी किए। हालांकि, वह अपने परिवार का नाम रिकॉर्ड में नहीं डाल पाया। जांच के परिणामस्वरूप जिलाधिकारी ने कूटरचित दस्तावेजों को निरस्त करने और असल काश्तकारों का नाम दर्ज करने का आदेश दिया। इस मामले में सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार अर्जुन के परिजन ओम प्रकाश पुत्र रंगलाल, रम्भू पुत्र अर्जुन प्रसाद और साधना पत्नी मनोज कुमार के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
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