गोरखपुर में एक महत्वपूर्ण सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय संस्कृति और गोसेवा के बीच के गहरे संबंध पर प्रकाश डाला गया। यह सम्मेलन युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था।