कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर केशव प्रसाद मौर्य का बयान : कहा- 'इंडिया गठबंधन लगातार ओबीसी के साथ छल करती रही है, कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए'

UPT | केशव प्रसाद मौर्य

May 24, 2024 19:03

पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस प्रकार से ओबीसी के प्रमाण पत्र घुसपैठिए और मुसलामानों को दिए, वो ओबीसी के पीठ पर खंजर भोंकने का काम है।

Short Highlights
  • ओबीसी के पीठ पर खंजर भोंकने का काम किया गया : मौर्य
  • कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं उसका तत्काल प्रभाव से पालन होना चाहिए :  उप-मुख्यमंत्री
Lucknow News : लोकसभा चुनाव के बीच में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश ने सियासी भूचाल मचा दिया है। बंगाल में कई वर्गों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों में 2012 के एक अधिनियम के तहत ऐसा आरक्षण गैरकानूनी है। इस फैसले के बाद देशभर के नेता बयान दे रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम जुड़ गया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के बाकी दल ने ओबीसी को धोखा देने का काम किया है। उनको छलने का काम किया है।

अपने बयान में उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता चाहे वो सपा हो, कांग्रेस, टीएमसी या इंडिया गठबंधन के बाकी दल के नेता। कहने के लिए तो कोई ओबीसी समाज से आता है, ओबीसी के लिए काम करने की बात कहता है लेकिन, सभी ने ओबीसी को ठगने का ही काम किया है। इनलोगों ने लगातार ओबीसी को छलने का किया है। आगे उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का यह फैसला बहुत ही सही और बढ़िया है।
  ओबीसी के पीठ पर खंजर भोंकने का काम किया गया- मौर्य
पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिस प्रकार से ओबीसी के प्रमाण पत्र घुसपैठिए और मुसलामानों को दिए, वो ओबीसी के पीठ पर खंजर भोंकने का काम है। कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं उसका तत्काल प्रभाव से पालन होना चाहिए। उन्होंने आगे जोड़ा कि उत्तर प्रदेश में भी इसकी समीक्षा की जाएगी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ओबीसी को उनका हक दिलाने का काम करती है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया था यह आदेश
बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने के आदेश दिए थे। जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथर की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि 2011 से प्रशासन ने किसी नियम का पालन किए बगैर ओबीसी सर्टिफिकेट जारी कर दिए।

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