दिल की बीमारी बता कर 8 लाख मांग रहा था अस्पताल : बाद में निकली गैस की समस्या, 128 रुपये में हो गया काम

UPT | Medanta Hospital Lucknow

Jun 07, 2024 16:45

लोग एक अच्छे अस्पताल में अपनी बीमारी का सही इलाज कराने के ले जाते हैं। लेकिन लखनऊ के मेदांता अस्पताल से चौंकाने वाली खबर आई है। जहां एक मरीज को वॉल्व बदलने...

Lucknow News : लोग एक अच्छे अस्पताल में अपनी बीमारी का सही इलाज कराने के ले जाते हैं। लेकिन लखनऊ के मेदांता अस्पताल से चौंकाने वाली खबर आई है। जहां एक मरीज को वॉल्व बदलने की बात कह कर 8 लाख की मांग की गई जबकि दूसरे अस्पताल में मात्र 128 रुपए की दवा से वह सही हो गया। दरअसल मरीज को सिर्फ गैस की समस्या हुई थी लेकिन मेदांता अस्पताल के द्वारा मरीज को वॉल्व की दिक्कत बताई गई।

तीमादारों ने मुख्यमंत्री से की शिकायत
तीमादारों का यह भी आरोप है कि जब मरीज के वॉल्व बदलने की बात में असमर्थता जताई तो उनके साथ अभद्रता की गई थी और उन्हें बड़ी मुश्किल से छोड़ा गया था। इसके बाद तीमादारों ने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की और मेदांता अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। इसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।

23 मई को घर पर गश खाकर गिरा था मरीज
जानकारी के अनुसार मोहन स्वरूप भारद्वाज सुशांत गोल्फ सिटी के रहने वाले हैं। यह 23 मई को घर पर गश खाकर गिर गए। उनके शरीर से पसीना आने लगा। जिसके बाद उन्हें उनके भाई और पत्नी ने मेदांता अस्पताल में ले गए। वहां  डॉक्टरों ने उनकी एंजियोग्राफी जैसी जांचें की और उनके हार्ट में वॉल्व बदलने की सलाह दी। इसके लिए आठ लाख रुपये का खर्च बताया। इसके साथ ही डॉक्टरों ने उन्हें जल्दी करने की सलाह दी और कहा कि अन्यथा उनके मरने की संभावना थी।

128 रुपये में मिला इलाज
परिजनों ने दो लाख रुपये होने की बात कहते हुए इलाज करवाने से मना कर दिया और अपने मरीज को दूसरे अस्पताल ले गए। जहां उन्हें 128 रुपये में ही इलाज मिला। जिसमें गैस की समस्या को ठीक करने के लिए कुछ इंजेक्शन और दवाएं शामिल थीं। उन्हें उस अस्पताल से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किया गया।

हॉस्पिटल अधीक्षक ने बताया...
मेदांता हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि एक मरीज ओपीडी में चेस्ट दर्द के साथ आया था। उनकी जांच में खून में ट्रोपोनिन आई की मात्रा असामान्य होने के कारण पता चला कि उन्हें हार्ट की समस्या है। एक्सरेसाइज टेस्ट और एकोकार्डियोग्राफी में हार्ट की सामान्य क्रियाओं में असामान्यता मिलने के बाद, ईसीजी में हार्ट में ब्लॉकेज के संकेत मिले। एंजियोग्राफी के दौरान पता चला कि एक नाड़ी में सौ प्रतिशत और दूसरी में 80 प्रतिशत ब्लॉकेज है। डॉक्टरों ने मरीज को एंजिओप्लास्टी की सलाह दी, जिसमें नाड़ियों को साफ करने की प्रक्रिया होती है। हालांकि, मरीज और उनकी पत्नी इस इलाज के लिए तैयार नहीं थे। जब वे हॉस्पिटल से जा रहे थे तो सारी जांच की रिपोर्ट्स उन्हें दे दी गई। हॉस्पिटल के अधीक्षक ने यह भी बताया कि मरीज के साथ किसी भी अनुचित व्यवहार या अभद्रता की गई नहीं थी।

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