जाकिर हुसैन के गुजरने से गमगीन हुआ अवध : लखनऊ के खानपान के थे मुरीद, कथक से रहा खास लगाव

UPT | मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन लखनऊ में कार्यक्रम के दौरान (फाइल फोटो)

Dec 16, 2024 16:41

लखनऊ वालों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए जाकिर हुसैन ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें सिखाया था कि हर वाद्ययंत्र सरस्वती का रूप है। इसकी इज्जत करना और इसे खेल समझने की गलती न करना। उन्होंने कहा था, 'हर वाद्य में रूह बसती है। अच्छा कलाकार बनने के लिए वाद्ययंत्र की इज्जत करना जरूरी है।'

Lucknow News : अवध की शामें हमेशा अपनी विरासत, कला और संगीत से रोशन रही हैं। लेकिन, जब मशहूर तबला वादक और पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर आई, तो यह रोशनी कहीं धुंधली हो गई। जाकिर हुसैन का लखनऊ से गहरा नाता रहा। यहां कथक और खानपान के प्रति उनकी दीवानगी देखने लायक थी। उनके जाने पर शहर के कलाकार इसे याद कर रहे हैं। जाहिर हुसैन ने यहां कई कार्यक्रमों में शिरकत की। इस शहर का माहौल और कलाकार उन्हें बेहद पसंद थे। यहां के मंचों पर अपनी तबले की थाप से उन्होंने कई बार समां बांधा, अब ये सब स्मृतियों का हिस्सा बन गए हैं।

लखनऊ के मंच पर जादुई शामें
17 जुलाई 2016 की बात है। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 'दरबार-ए-ताज' का आयोजन हुआ। सितार वादक नीलाद्रि कुमार के साथ तबले पर जाकिर हुसैन की संगत ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी अंगुलियां तबले पर नृत्य कर रही थीं और सभागार तालियों की गूंज से भर गया। लोग उनके जादुई प्रदर्शन के मुरीद हो गए। सेल्फी लेने वालों की भीड़ ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया।



वाद्ययंत्र को माना सरस्वती का रूप
लखनऊ वालों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए जाकिर हुसैन ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें सिखाया था कि हर वाद्ययंत्र सरस्वती का रूप है। इसकी इज्जत करना और इसे खेल समझने की गलती न करना। उन्होंने कहा था, 'हर वाद्य में रूह बसती है। अच्छा कलाकार बनने के लिए वाद्ययंत्र की इज्जत करना जरूरी है।' जाकिर साहब ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ट्रेन की जनरल बोगी में सफर के दौरान वह जमीन पर बैठकर तबला गोद में रखते थे। यह उनके वाद्य के प्रति आदर का भाव था। उनकी ये बातें सुनकर लखनऊवालों की आंखें नम हो गईं।

कथक और लखनऊ के लिए विशेष प्रेम, हंसी में छिपी यादें
मशहूर पखावज वादक डॉ. राज खुशीराम ने बताया कि जाकिर हुसैन का लखनऊ से गहरा जुड़ाव था। वह लखनवी कथक के बड़े प्रशंसक थे। एक बार कथक केंद्र कैसरबाग में, जाकिर हुसैन ने नृत्यांगना कपिला राज को 11 रुपये रुमाल में लपेटकर दिए थे। यह उनकी सादगी और कला के प्रति उनके सम्मान का प्रतीक था। संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव तरुण राज, जाकिर हुसैन से जुड़ी यादों को साझा करते हुए भावुक हो गए। ये किस्सा उनकी पत्नी अर्चना राज से संबंधित है। उन्होंने बताया कि 1994 में एक निजी कार्यक्रम में जाकिर साहब ने कहा था कि तानपुरा कलाकार का नाम जरूर पुकारा जाए। इस पर उनकी पत्नी अर्चना राज संगत कर रही थीं। बाद में जाकिर हुसैन ने अर्चना राज से कहा​ कि अपनी शादी में जरूर बुलाना। जब उन्हें पता चला कि अर्चना राज तरुण राज की पत्नी हैं, तो वह हंसते-हंसते लोटपोट हो गए। उनकी यह हंसी आज भी तरुण राज के जहन में ताजा है।

लखनऊ की विरासत और जाकिर हुसैन
जाकिर हुसैन लखनऊ की कला और संस्कृति के कद्रदान थे। उनका मानना था कि लखनऊ की कथक शैली और खानपान अपने आप में अद्वितीय हैं। उनकी यह लगाव और उनके योगदान को अवध कभी नहीं भूल पाएगा। जाकिर हुसैन अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित एक अस्पताल में भर्ती थे। वह इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी और इसकी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे थे। यह फेफड़ों में होने वाली एक क्रोनिक बीमारी है जिसके कारण समय के साथ सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है।
 

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