छात्राएं बनीं वीरांगना ऊदा देवी : हाथों में बंदूक लिए निकाली संविधान यात्रा, कौशल किशोर बोले- डॉ. आंबेडकर का मिशन हो रहा पूरा

UPT | संविधान यात्रा।

Nov 26, 2024 16:07

राजधानी लखनऊ में मंगलवार को संविधान दिवस यात्रा निकाली गई। वीरांगना ऊदा देवी पासी चौराहा से हजरतगंत स्थित अंबेडकर प्रतिमा तक पैदल मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए।

Lucknow News : राजधानी में मंगलवार को संविधान दिवस यात्रा निकाली गई। वीरांगना ऊदा देवी पासी चौराहा से हजरतगंत स्थित आंबेडकर प्रतिमा तक पैदल मार्च में सैकड़ों लोग शामिल हुए। इस दौरान तमाम छात्राओं ने वीरांगाना ऊदा देवी के वेष में बंदूक लिए जुल्म और अन्याय का मुंह तोड़ जवाब देने का संदेश दिया। इसके साथ नुक्कड़ नाटक के जरिए महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक किया। संविधान दिवस का नेतृत्व भाजपा के पूर्व केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर ने किया। 

1949 में घोषित होना चाहिए था संविधान दिवस
इस दौरान कौशल किशोर ने कहा कि 25 नवंबर 1949 को बाबा साहेब डा भीमराव आंबेडकर ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के हाथों में संविधान सौंपा था। 26 नवंबर 1949 को यह अंगीकृत कर लिया गया था। उसी समय इसे संविधान दिवस घोषित कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में 2014 में देश की बागडोर संभाली। इसके बाद 2015 में संविधान दिवस घोषित किया। अब इसे हर साल मनाया जाता है।



वीरांगना ऊदा देवी की वीरता का किया जिक्र 
कौशल किशोर ने वीरांगना ऊदा देवी की वीरता और शहादत को याद किया। उन्होंने कहा कि अंंग्रेज सिकंदरबाग पर हमला करने की तैयारी के साथ पहुंचे। अंग्रेज कुछ करते, उससे पहले ऊदा देवी सिकंदरबाग में मौजूद पीपल के पेड़ पर चढ़ गईं। वे पुरुषों की वर्दी पहने हुए थीं। 16 नवंबर 1857 को पीपल के पेड़ से ही उन्होंने एक-एक कर 36 अंग्रेज सिपाहियों को गोलियों से भून दिया। उनके पति मक्का पासीभी अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हुए थे।

नारी को देना चाहिए जुल्म का मुंहतोड़ जवाब 
पूर्व केन्द्रीय मंत्री कौशल किशोर ने कहा कि यह संविधान यात्रा 1857 से 1949 तक भारत का कानून लागू करने के संषर्घ की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डॉ. आंबेडकर का मिशन पूरा हो रहा है। देश में स्वराज पूरी तरह से लागू है। छात्राओं ने कहा कि जिस तरह क्रांतिकारी वीरांगनाएं जुल्म के खिलाफ जमकर लड़ीं। अपने प्राणों की आहुति दी लेकिन अंग्रेजों के सामने नहीं झुकीं। ठीक उसी तरह हर नारी को जुल्म का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए।

Also Read